धारा 370 को हटाने के 5 अगस्त को होंगे एक साल, पहली सालगिरह के जश्न को बिगाड़ने की योजना बना रहे पाकिस्तान-चीन

जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटाकर उसे भारत के एक पूर्ण राज्य के रूप में विलय करने की पहली सालगिरह भारत में कुछ दिन बाद 5 अगस्त को मनाई जाने वाली है। लेकिन इस पर सीमापार बैठे पाकिस्तान और चीन की कुदृष्टि पड़ चुकी है। दोनों किसी भी हाल में भारत की इस बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि को दुनिया के सामने उसके द्वारा उठाए गए एक बड़े जरूरी कदम के रूप में नहीं आने देना चाहते हैं।
इसलिए चीन जहां पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव बढ़ाए हुए है तो वहीं पाक एलओसी और कश्मीर में सक्रिय आतंकी गुटों को भड़काकर वहां लगातार राजनीतिक समुदाय के लोगों से लेकर सुरक्षा ठिकानों को सीधे निशाना बनाकर सूबे के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़कर उसकी एक झूठी अशांत तस्वीर सबके सामने रखना चाहता है। भारत की खुफिया एजेंसियों ने अपने एक ताजा विशलेषण में पाक, चीन के इस नापाक गठजोड़ की ओर इशारा किया है।
उनसे जुड़े सूत्रों ने बताया कि इसी के मद्देनजर 5 अगस्त तक राज्य में आतंकी वारदातों में इजाफा होने से लेकर चीनी-पाकिस्तानी सरहद पर भी तनाव बढ़ने की संभावना नजर आ रही है। रक्षा विशेषज्ञ भी सुरक्षा एजेंसियों के इस आकलन का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं। उधर सशस्त्र सेनाएं और अर्धसैन्य बल भी किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
यूं बढ़ाते पाक-ड्रैगन तनाव
सूत्रों ने कहा, चीन ने इसी साल मई महीने की शुरूआत से लद्दाख में एलएसी पर पीएलए सेना के साथ चढ़ाई कर वर्षों से स्थापित शांति को भंग करने के अलावा गलवान में निहत्थे 20 भारतीय जवानों की हत्या कर हालात को पूरी तरह से बिगाड़ने की कोशिश की है। चीन भारत द्वारा धारा-370 को हटाने का भी विरोध कर चुका है। उसका साफ कहना है कि लद्दाख का अक्साई चिन उसका इलाका है।
ऐसे मे पूर्ण जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के वह खिलाफ है। उधर पाकिस्तान द्वारा अपने विरोध में बीते साल से ही एलओसी, आईबी पर 3 हजार 168 बार संघर्षविराम तोड़कर भारतीय सेनाओं की चौकियों समेत स्थानीय आबादी पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई जा रही हैं। इस साल जुलाई के मध्य तक जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से पाक सेना ने कुल करीब 2 हजार 460 बार संघर्षविराम तोड़कर भारी गोलीबारी की है। उसके इशारे पर ही कश्मीरी आतंकी गुटों ने बीते 31 मई तक राज्य के 60 स्थानीय नागरिकों के हाथ में हथियार पकड़ाकर उन्हें आतंकवादी के रूप में भर्ती किया है।
रक्षा विशेषज्ञों की राय
पूर्व सेनाप्रमुख जनरल दीपक कपूर ने कहा, पाकिस्तान हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर में बनी हुई शांति को भंग करने की कोशिश में लगा रहता है। 1980-90 के दशक से उसने भारत के खिलाफ जो छद्म युद्ध छेड़ा हुआ है। उसमें वह पाक के अंदर से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह कहता है कि जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान का अंग है। भारत ने उस पर अवैध कब्जा जमाया हुआ है। लेकिन भारत ने 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटाकर उसकी बोलती बंद कर दी है। इसी की खी़ज अब वह धारा-370 हटाने की पहली वर्षगांठ के जश्न में बाधा डालकर पूरा करना चाहता है। लगातार कश्मीर के स्थानीय, अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों को भड़काकर सूबे में हिंसा और तनाव बढ़ाने की कवायद भी इसी दिशा में जारी है।
जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना की उत्तरी कमांड के पूर्व प्रमुख रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डी़ एस़ हुड्डा ने कहा कि धारा-370 को हटाने के बाद पाकिस्तान के सेनाप्रमुख और पीएम का बयान आया था कि इसे नहीं हटाया जाना चाहिए। पाकिस्तान कश्मीरियों की मदद करने के लिए किसी भी हद तक जाएगा। अब एलओसी पर गोलीबारी बढ़ गई है, आतंकी हमले भी बढ़ गए हैं। उसने यूएन से लेकर विश्व बिरादरी के बीच में भारत के इस ऐतिहासिक निर्णय का विरोध किया है।
वह चाहता है कि कश्मीर में आतंकियों के सहारे ज्यादा से ज्यादा हिंसा बढ़ाई जाए। जिससे उसे दुनिया के सामने यह कहने का मौका मिले कि 370 को हटाना भारत का कितना गलत निर्णय था। इससे भी वहां शांति कायम नहीं हुई है। उधर चीन भी 370 को हटाने के पक्ष में नहीं है। हाल में उनके पाक में मौजूद राजदूत ने कहा था कि 370 को नहीं हटाया जाना चाहिए। एलएसी पर जो मौजूदा तनाव है, उसकी तह में छिपा में एक कारण यह भी हो सकता है। सुरक्षाबलों को बेहद अलर्ट रहने की जरूरत है। सामरिक तैयारी को हर मोर्चे पर सशक्त बनाए रखना होगा।
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