Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 24 घंटे में मांगा जवाब, कहा- कैसे बंद होगा इसका इस्तेमाल

देशद्रोह कानून (Sedition Law) मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे और सरकार से लंबित और भविष्य के मामलों पर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि जब तक कानून पर पुनर्विचार नहीं किया जाता है, तब तक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कल सुबह तक अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। यानी 24 घंटे के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। इससे पहले, सरकार ने कोर्ट से इस कानून पर विचार करने तक सुनवाई स्थगित करने को कहा था। हालांकि, याचिकाकर्ता कपिल सिब्बल के अधिवक्ताओं ने इसका कड़ा विरोध किया।
केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया था कि देशद्रोह अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाएगा। इससे 24 घंटे पहले केंद्र ने देशद्रोह कानून का पुरजोर समर्थन किया था। लेकिन सोमवार को ही केंद्र ने एक कदम पीछे ले लिया और देशद्रोह अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने पर समहति जता दी। उसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट में देशद्रोह कानून के मामले की सुनवाई हुई और अब बुधवार को सुनवाई होगी।
कोर्ट ने केंद्र से कहा कि जब तक आप कानून पर पुनर्विचार नहीं करते। आप राज्यों को अपराध की रिपोर्ट न करने का निर्देश क्यों नहीं देते हैं। आप राज्यों को कानून को निलंबित करने के लिए क्यों नहीं कहते। जब तक केंद्र इस पर पुनर्विचार नहीं करता है। सरकार ने कोर्ट से और समय मांगा क्योंकि राजद्रोह की सुनवाई के दौरान सत्तारूढ़ दल ने अपना बचाव किया। सरकार के तर्क पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि हमने आपको कुछ महीने पहले नोटिस दिया था। पहले आपने कहा था कि पुनर्विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब आपने हलफनामा दिया है। आप वास्तव में कितना समय लेने जा रहे हैं। इसको पहले स्पष्ट करें। यह पूरा मामला आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) से जुड़ा है।
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