Shaheed Diwas 2020 Date : 23 मार्च को क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस?

Shaheed Diwas 2020 Date : 23 मार्च को क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस?
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पूरे देश में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन के अवसर पर, देश के सैनिकों के साथ आम लोग देश के लिए बलिदान देने वाले महापुरुषों को सलाम करते हैं। याद कर नमन करते हैं।

Shaheed Diwas 2020 Date : पूरे देश में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन के अवसर पर, देश के सैनिकों के साथ आम लोग देश के लिए बलिदान देने वाले महापुरुषों को सलाम करते हैं। याद कर नमन करते हैं। साथ ही हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं, जो देश की आजादी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

हालांकि शहीद दिवस खास कर देश के तीन महापुरुष भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद कर उन्हें नमन करते हैं। शहीद दिवस को पहले सर्वोदय दिवस( sarvoday divas ) भी कहते थें।23 मार्च 1931 की वो रात पूरे देश में मातम का बादल छा गया था। इसी दिन अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था। इन तीनों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए 23 मार्च को भारत में शहीद दिवस मनाया जाता है।

30 अक्टूबर 1928 को हुई थी लाला लाजपत राय की मौत

30 अक्टूबर 1928 को हुए लाठी चार्ज से लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी। इसके बाद भगत सिंह ने अपने साथी राजगुरु, सुखदेव, आजाद और जयगोपाल के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा चलाया था। इसी दौरान भगत सिंह ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए हत्या का प्लान बनाया गया।

यह प्लान अंग्रेज अफसर स्कॉट की हत्या के लिए किया गया था, लेकिन अंग्रेज अफसर जे. पी. सैन्डर्स मारा गया। जहां एक तरफ सैंडर्स हत्याकांड की जांच चलती रही, तो वहीं भगत सिंह भी आजादी की लड़ाई पर डटें रहे। 1929 में, भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर आत्मसमर्पण कर दिया।

बाद में सुखदेव और राजगुरु को भी गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर 2 साल का मुकदमा चलाया गया। लेकिन जब अंग्रेज सैंडर्स हत्याकांड में सबूत जुटाने में नाकाम दिखी तो बिना सबूत के भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को एक साथ फांसी देने की घोषणा की। विद्रोह के डर से, अंग्रेजों ने एक दिन पहले 23 मार्च 1931 को तीनों को फांसी पर चढ़ा दी।


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