धनुष बाण के बाद अब मशाल के चुनाव चिह्न पर तकरार, इस पार्टी ने दावा ठोका, जानें अबतक कितने बदले चिह्न

Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच चल रहे विवाद को लेकर राजनीति में घमासान मचा हुआ है। जहां एक तरफ एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने, तो वहीं दूसरी और अब उन्होंने कल यानी शुक्रवार 17 फरवरी को पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष और बाण भी अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही अब उद्धव ठाकरे से धनुष बाण के बाद मशाल वाला चिह्न भी हाथ से जाने वाला है क्योंकि एक पार्टी ने इस चिह्न पर दावा ठोक दिया है।
चुनाव आयोग के फैसले के अनुसार, उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना बालासाहेब ठाकरे का नाम और उसका चुनाव चिह्न मशाल का इस्तेमाल सिर्फ महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा उपचुनाव तक ही हो पाएगा। 26 फरवरी को कसबा पेठ और पिंपरी चिंचवाड़ की सीटों पर होने वाले चुनाव में ठाकरे की सेना इसका इस्तेमाल कर पाएगी। इसके बाद ठाकरे न तो नाम का इस्तेमाल कर पाएंगे और न ही चुनाव चिह्न का उपयोग कर सकते हैं। वहीं, मशाल के चुनाव चिह्न को लेकर ही समता पार्टी ने भी अपना दावा ठोका है और आपत्ति भी दर्ज कराई है।
उद्धव ठाकरे की शिव सेना को मशाल चुनाव चिह्न नहीं मिलने का एक कारण ये भी है कि समता पार्टी ने फिर से अपना दावा ठोका है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश झा ने इसको लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है। इसमें पार्टी ने मशाल चिह्न उसे देने की मांग की है। समता पार्टी की चुनाव आयोग से मांग है कि ये यह उसका था और इसलिए उन्हें यह चुनाव चिह्न वापस कर दिया जाए। समता पार्टी ने चुनाव आयोग को अपनी चिट्ठी में कहा है कि 17 फरवरी को लिए गए फैसले के बाद मशाल चुनाव चिह्न फिर समता पार्टी को दिए जाने में समस्या बाकी नहीं रही है।
शिवसेना की शुरूआत साल 1968 में हुई थी। तब इसका चुनाव चिह्न दहाड़ता हुआ शेर हुआ करता था। इसके बाद शिवसेना ने ढाल तलवार चुनाव चिह्न का इस्तेमाल किया। इसके पहले शिवसेना उगता सूरज, ढाल तलवार और धनुष बाण समेत अनेक चुनाव चिह्न लेकर चुनाव लड़ती रही है। साल 1978 के विधानसभा चुनाव में रेलवे इंजन चुनाव चिह्न शिवसेना मिला, लेकिन अब ये राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का अधिकृत चुनाव चिह्न है।
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