श्री कृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह केस: कोर्ट ने कृष्ण को बताया गैरहाजिर, तो याचिकाकर्ता मूर्ति लेकर पहुंचा, पढ़िए पूरा मामला

श्री कृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह केस: कोर्ट ने कृष्ण को बताया गैरहाजिर, तो याचिकाकर्ता मूर्ति लेकर पहुंचा, पढ़िए पूरा मामला
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में कुछ चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मथुरा कोर्ट ने श्री कृष्ण को गैरहाजिर बताया इस पर याचिकाकर्ता श्री कृष्ण की मूर्ति लेकर कोर्ट पहुंच गया। पढ़िए क्या है पूरा मामला?

श्री कृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह केस: कृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह का मामला महीनों से चल रहा है। केस का समाधान होने के बजाय और बिगड़ता ही जा रहा है। इस बीच मामले में एक अजिबो-गरीब घटना हुई है। कोर्ट ने सुनवाई में श्री कृष्ण को गैरहाजिर बताया था, इसपर याचिकाकर्ता आशुतोष पांडे श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति लेकर कोर्ट पहुंच गए। यह देखकर सभी उपस्थित लोग अचंभित रह गए, वे सोच में पड़ गए कि क्या अब खुद श्री कृष्ण कोर्ट में गवाही देंगे, जबकि जज और तमाम वकिलों का भी चेहरा देखने योग्य था। जब याचिकाकर्ता से मूर्ति कोर्ट में लाने की वजह पूछा गया तो उसका जवाब भी काफी अनोखा था। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने श्री कृष्ण भगवान को गैरहाजिर बताया था, इसलिए कोर्ट को दिखाना चाहता हूं कि श्री कृष्ण गैरहाजिर नहीं है।

क्या है पूरा विवाद?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का विवाद काफी पुराना है। यह विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना को लेकर हो रहा है। दरअसल 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था। इसके तहत 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के निर्माण की बात की गई थी। इसके कारण से श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन और 2.5 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद का मालिकाना हक है। लेकिन वर्तमान में हो रहे विवाद में हिन्दू पक्ष द्वारा मुस्लिम पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा जा रहा है कि मस्जिद अवैध रूप से जमीन कब्जा कर बनाया गया है। इसलिए हिंदू पक्ष मांग कर रहा है कि शाही ईदगाह मस्जिद को हटाया जाए और उस स्थान पर भी श्रीकृष्ण का मंदिर बनाया जाए।

याचिका में 1968 में हुए समझौते को दी चुनौती

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में दावा किया था कि इस ईदगाह का निर्माण औरंगजेब द्वारा भगवान कृष्ण की 13.37 एकड़ जमीन पर बने मंदिर को तोड़कर करवाया गया था। साथ ही याचिका में 1968 में हुए समझौते को भी चुनौती दी गई है। इसके बाद मथुरा के सीनियर डिवीजन जज ने इस विवादित भूमि का अमीन द्वारा निरीक्षण कराने का आदेश दिया गया है। इसके लिए 2 जनवरी से ही सर्वे शुरू हो चुका है।

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