Haribhoomi Explainer: श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती आज, यहां पढ़िए बंगाल को विभाजन से बचाने वाले मुखर्जी के जीवन से जुड़े अनसुने किस्से

Haribhoomi Explainer: श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती आज, यहां पढ़िए बंगाल को विभाजन से बचाने वाले मुखर्जी के जीवन से जुड़े अनसुने किस्से
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Haribhoomi Explainer: भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज जयंती है। 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में उनका जन्म हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी बैरिस्टर और शिक्षाविद थे। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की 1980 में यही भारतीय जनता पार्टी बन गई। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन और उनकी मृत्यु से जुड़ी अनसुनी बातें बताते हैं।

Haribhoomi Explainer: देश में हर साल कई पुण्य तिथियां मनाई जाती हैं। हालांकि, वे पुण्यात्माएं बहुत भाग्यशाली होती हैं, जिनके समर्थक या आदर्श उनके बलिदान को सार्थक बनाते हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Syama Prasad Mukherjee) एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने 23 जून 1953 को अखंड भारत के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज पूरा देश उन्हीं श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती मना रहा है। सशक्त व्यक्तित्व के धनी श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजनीति के साथ-साथ दुनिया के लिए भी एक सितारे थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक होने के साथ-साथ आजाद भारत के पहले इंडस्ट्री और सप्लाई मिनिस्टर (Industry and Supply Minister) थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडियन नेशनल कांग्रेस (Indian National Congress) से जुड़े थे लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) के साथ विचारों के टकराव के कारण वे पार्टी से अलग हो गए थे। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से श्यामा प्रसाद मुखर्जी के राजनीतिक सफर के साथ ही उनके जीवन के बारे में जानते हैं।

बंगाल में जन्मे थे मुखर्जी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी (Ashutosh Mukherjee) था । जो कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में जज थे। प्रसाद ने 1906 में भवानीपुर के मित्रा संस्थान से अपनी प्रारंभिक शिक्षा शुरू की। उन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया। वे 1916 में इंटर-आर्ट्स परीक्षा में 17वें स्थान पर रहे और साल 1921 ग्रेजुएशन में प्रथम स्थान हासिल किया।

सबसे कम उम्र के वाइस चांसलर

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लिए वर्ष 1924 अच्छा और बुरा दोनों रहा। जहां 1924 में उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में एडवोकेट के रूप में इनरोल हुए। वहीं दूसरी तरफ इनके पिता ने इस संसार से विदा ले ली। इसके साथ ही 1934 में प्रसाद को कलकत्ता यूनिवर्सिटी (Calcutta University) के सबसे कम उम्र के वाइस- चांसलर (Vice Chancellor) बनें। मुखर्जी एक क्वालिफाइड बैरिस्टर थे, जिसे शिक्षा के प्रति जुनून था। बाद में वे बंगाल प्रांत के वित्त मंत्री (Finance Minister) भी बने।

कांग्रेस से अलग होकर बनाई जनता पार्टी

1946 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन की मांग की ताकि मुस्लिम बहुल पूर्वी पाकिस्तान में इसके हिंदू-बहुल क्षेत्रों को शामिल करने से रोका जा सके। 15 अप्रैल, 1947 को तारकेश्वर में महासभा द्वारा आयोजित एक बैठक में उन्हें बंगाल के विभाजन को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के लिए ऑथराइज्ड किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री से विचार के टकराव के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी की स्थापना की। यह पार्टी वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के रूप में हम सभी के सामने है।

और इस प्रकार मुस्लिम लीग की योजना पर पानी फेर दिए थे

श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं चाहते थे कि देश का विभाजन हो। इसके लिए वह महात्मा गांधी के पास गये। गांधीजी ने कहा कि कांग्रेस उनकी बात नहीं सुन रही है। नेहरू भी विभाजन के पक्ष में थे। जब यह अपरिहार्य हो गया, तो मुखर्जी ने यह सुनिश्चित करने की प्रतिज्ञा की। उन्होंने कहा कि बंगाल के हिंदुओं के हितों की उपेक्षा न की जाए। उनके प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि मुस्लिम लीग की पूरे प्रांत पर कब्जा करने की योजना सफल न हो सकी।

हिंदू महासभा के नेता के रूप में मुखर्जी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी साल 1939 में बंगाल राज्य में हिंदू महासभा में शामिल हुए। वह 1940 में संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। फरवरी 1941 में मुखर्जी ने एक हिंदू रैली में कहा कि यदि मुस्लिम समुदाय पाकिस्तान में रहना चाहता है तो उन्हें अपना बैग और सामान पैक करना चाहिए और भारत छोड़कर जहां चाहें वहां चले जाना चाहिए। श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1943 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष बनें। वह इस पद पर 1946 तक रहें।

370 का किया था विरोध

श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान बनाने के विरुद्ध थे। इसके विरुद्ध मुखर्जी ने कानून बनने के दौरान ही विरोध किया था। वो इस राज्य के लिए अलग संविधान बनाने के पक्ष में नहीं थे। इसी को लेकर वे दौरान इन्होंने इस राज्य का दौरा भी किए थे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन

साल 1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने जीवन की अंतिम सांसे जम्मू-कश्मीर में ली। जब इनका निधन हुआ, तब वह आर्टिकल 370 का विरोध कर रहे थे। उस समय उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया था।

क्या था मृत्यु का कारण

मुखर्जी का निधन भी एक अनसुलझी कहानी है। दरअसल लेख 370 के अनुसार जम्मू कश्मीर में प्रवेश से पहले सरकार की अनुमति लेने का प्रावधान था। मुखर्जी बिना अनुमति के कश्मीर में जाकर इसका विरोध कर रहे थे। इसी कारण इनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। गिरफ्तारी के कुछ ही समय बाद मुखर्जी और उनके साथियों को एक कॉटेज में पुलिस ने रखा था और इसी दौरान इनकी तबीयत बिगड़ी। अचानक ज्यादा तबीयत खराब होने के बाद इन्हें 22 जून को अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया, जहां पर डाक्टरों ने इनको हार्ट अटैक होने की बात कही गई। इसके एक दिन बाद ही इनकी मौत हो गई। मुखर्जी के समर्थक मानते हैं कि मौत की वजह कोई साजिश थी न कि हार्ट अटैक।

मौत से जुड़े विवाद

मुखर्जी की मौत के इनकी मां ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जांच कराने की मांग की थी, लेकिन नेहरू सरकार ने मुर्खजी की मौत की जांच करवाने से मना कर दिया था। वहीं साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी मुखर्जी की मौत को साजिश बताया था और कहा था कि इनकी मृत्यु नहीं हत्या हुई है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी से जुड़े रोचक तथ्य

1. मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता अब कोलकाता में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

2. वह एक स्टार छात्र थे और मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे।

3. मुखर्जी ने बंगाली में एमए भी पूरा किया। 1923 में उन्हें प्रथम श्रेणी में ग्रेड दिया गया और 1923 में वे सीनेट के फेलो भी बने।

4. 1934 में, 33 वर्ष की आयु में, वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने। उन्होंने 1938 तक इस पद पर कार्य किया।

5. श्यामा प्रसाद के तीन भाई, राम प्रसाद, उमा प्रसाद और बामा प्रसाद मुखर्जी और तीन बहनें, कमला, अमला और रमाला थीं।

6. श्यामा प्रसाद की शादी सुधा देवी से हुई थी और उनके पांच बच्चे थे।

7. कुछ ही समय बाद उनकी पत्नी की डबल निमोनिया से मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद श्यामा प्रसाद ने पुनर्विवाह से इनकार कर दिया।

8. श्यामा प्रसाद के दो बेटे अनुतोष और देबातोष के साथ-साथ दो बेटियां सबिता और आरती भी थीं।

9. उन्हें शुष्क फुफ्फुस रोग का पता चला था जिससे वे 1937 और 1944 में भी पीड़ित हुए थे।

10. डॉक्टर ने उन्हें स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन और पाउडर लेने की सलाह दी थी। हालांकि, मुखर्जी ने डॉक्टर से कहा था कि उनके पारिवारिक चिकित्सक ने उन्हें स्ट्रेप्टोमाइसिन लेने से मना किया है। क्योंकि यह उनके सिस्टम के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि, डॉक्टर ने उन्हें बताया कि दवा के बारे में नई जानकारी सामने आई है और उन्हें आश्वासन दिया कि वह ठीक हो जायेंगे।

11. श्यामा प्रसाद को बाद में एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया और अस्थायी रूप से दिल का दौरा पड़ने का पता चला। एक दिन बाद 23 जून, 1953 को उनकी मृत्यु हो गई।

12. मुखर्जी की मृत्यु विवाद का विषय बनी हुई है क्योंकि कई लोग मानते हैं कि उनकी हत्या की गई थी। मुखर्जी की मां ने नेहरू से स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया लेकिन नेहरू ने इसे खारिज कर दिया।

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