Special Story: कांग्रेस ने चिंतन शिविर में महंगाई को बताया बड़ा मुद्दा, जानिये खाना अब कभी सस्ता होगा या नहीं?

राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) में आज कांग्रेस के चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) के दूसरे दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने महंगाई (Dearness) को अहम मुद्दा बताया और मोदी सरकार (Modi Government) पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि हम उदारीकरण के कदम पीछे खींचने के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन गरीबी असमानता बढ़ रही है, जो बेहद चिंताजनक है। पी चिदंबरम ने यह भी स्पष्ट किया है कि महंगाई बढ़ने को रूस यूक्रेन वॉर (Russia Ukraine War) का तर्क देना भी बेमानी है क्योंकि महंगाई तो पहले से ही बढ़ रही है। उनके इन दावों से सवाल उठता है कि क्या अब भारत (India) में कभी खाने-पीने की चीजें सस्ती होंगी या नहीं? साथ ही महंगाई का विश्व (World) पर क्या असर पड़ रहा है, यह भी इस रिपोर्ट से जानिये...
मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया जा रहा है कि केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के तमाम देशों में खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई हैं। इस रिपोर्ट में इसके प्रमुख कारण बताए हैं, जिनमें यूक्रेन युद्ध का भी हवाला दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से भी फसलों की पैदावार प्रभावित हुई है। इससे मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो पा रही है और खाद्य सामग्रियों को लेकर भी संकट बढ़ रहा है। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल मार्च में गेहूं की कीमत बीते 14 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। मक्के की बात करें तो इसकी कीमतों ने भी पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह जानकारी 'इंटरनेशनल पैनल ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन सस्टेनेबल फूड सिस्टम' यानी आईपीईएस ने एक रिपोर्ट में दी गई है। कई गरीब देश तो ऐसे हैं, जो आबादी की मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा कीमत के चलते अनाज को आयात भी नहीं कर पा रहे।
आईपीईएस ने चिंता जताई है कि अगर उर्वरकों की सप्लाई बेहतर नहीं की जाए और जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले असर को रोका जाए तो हालात संभल सकते हैं, नहीं तो अनाज की कीमतें हमेशा के लिए ऊंची ही रहेंगी। इसके अलावा आईपीईएस ने यह भी सुझाव दिया है कि जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के साथ ही मुनाफाखोरी और जमाखोरी से निबटने के साथ ही किसानों को कर्ज में राहत देनी चाहिए। रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता नहीं करनी चाहिए। राष्ट्रीय अनाज भंडारों को बढ़ाना होगा ताकि अनाज लोगों तक पहुंचने से पहले ही खराब न हो जाए।
यूक्रेन वार भी महंगाई के लिए जिम्मेदार
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि यूक्रेन वार से पहले ही भारत में महंगाई बढ़ रही है। हालांकि आईपीईएस का कहना है कि रूस-यूक्रेन वार का असर अनाज उत्पादन पर सीधा असर पड़ा है। इसका कारण यह है कि दुनिया के कुल उत्पादन का 30 फीसदी गेहूं रूस और यूक्रेन में पैदा होता है। युद्ध के चलते यह हिस्सेदारी घट गई है। अगर कोई देश है, जो कि गेहूं का पैदावार करता है तो उनकी स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन यूक्रेन और रूस से निर्यात में कमी के कारण वैश्विक बाजार में अनाज को लेकर होड़ मची है। गरीब और कर्ज में डूबे उन देशों की ज्यादा दिक्कतें ज्यादा बढ़ गई हैं, जो कि गेहूं के लिए भी आयात पर पूरी तरह से निर्भर हैं।
केंद्र सरकार ने हाल में कहा था कि भारत सभी युद्ध प्रभावित देशों को अनाज कर सकता है। आईपीईएस रिपोर्ट को देखें तो पी चिदंबरम का यह बयान सही नजर आता है कि यूक्रेन वार का असर भारत में बढ़ती महंगाई का कारण नहीं है। यही कारण है कि चिदंबरम ने मोदी सरकार को सलाह दी है कि यूक्रेन युद्ध आदि का कोई बहाना बनाने की बजाय केंद्र को आर्थिक नीतियों को बेहतर बनानी पड़ेगी। उन्होंने यह भी अंदेशा जताया कि अगर वक्त रहते सही नीतियां लागू नहीं की गई तो जनता और देश को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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