Hindi Diwas 2021: 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में मना था हिंदी दिवस, जानें क्या है महत्व

Sunday Special: हिंदी दिवस (Hindi Diwas) हर साल 14 सितंबर (14 September) को मनाया जाता है। अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन (English, Spanish and Mandarin) के बाद हिंदी दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भारत की सबसे अधिक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उत्तर भारत के अधिकांश लोग इस भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में मनाते हैं। हर साल हिंदी दिवस पर भारत के राष्ट्रपति के द्वारा राजभाषा पुरस्कार दिए जाते हैं और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (10 January World Hindi Day) मनाया जाता है। इस तरह भारत में दो बार हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिंदी की पहचान
आज हिंदी भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में बोली और पढ़ी जाती है। हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा (Indo-Aryan language) है, जिसे देवनागरी लिपि में भारत की आधिकारिक भाषाओं में लिखा गया है। हिंदी दिवस का ये दिन आधिकारिक भाषा को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए समर्पित है।
14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता हिंदी दिवस
हिंदी को देश की राजभाषा माना जाता है, इसलिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था और तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, आजादी के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को देश की राजभाषा बनाने का फैसला किया था। काफी लंबे समय तक चर्चा करने के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला।
हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी दिवस पर लोगों को हिंदी के प्रति प्रेरित करने के लिए भाषा का अवॉर्ड दिया जाता है। यह अवॉर्ड हर साल देश के ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जिन्होंने लोगों के बीच हिंदी भाषा के उपयोग और उत्थान में विशेष योगदान दिया है। हर साल हिंदी दिवस पर भारत के राष्ट्रपति के द्वारा राजभाषा पुरस्कार दिए जाते हैं।
कब और क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस
भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस और दुनिया में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। संविधान सभा ने गंभीरता से लेते हुए 14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा होगी। इस दिन राजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी होता है। 14 सितंबर को हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म जबलपुर में हुआ था। कहते हैं कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्थापित करवाने का योगदान उनको ही जाता है।
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