Sunday Special: जानें परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस का इतिहास

International Day Against Nuclear Tests 2021 (परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस 2021): हर रविवार को हम आपके लिए संडे स्पेशल स्टोरी (Sunday Special) लेकर आते हैं। इस बार 29 अगस्त का दिन भारत के इतिहास (History Of India) में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसकी पहली वजह भारत के प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) का जन्म और दूसरी चौधरी चरण सिंह ने लोकदल पार्टी (Rashtriya Lok Dal) की स्थापना की थी, लेकिन इसी तारीख को परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरूआत भी हुई थी। दुनिया में परमाणु हथियारों से होने वाले नुकसान और उसके प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के चलते इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस की शुरुआत हुई। कहते हैं कि 2 दिसंबर 2009 को यूएन महासभा के 64वें सत्र के दौरान ऐलान किया गया कि हर साल 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाएगा। इसके बाद 29 अगस्त 2010 को पहली बार परमाणु परीक्षण विरोधी अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया।
परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस की शुरुआत
दुनिया के कई देशों ने परमाणु परीक्षण किए और परमाणु हथियारों को विकसित किया, लेकिन इसके प्रभाव को जानते हुए भी इसपर काम करते रहे। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में साल 2009 में प्रस्ताव पास हुआ। यह पहली बार साल 2010 में मनाया गया। कहते हैं कि 29 अगस्त 1991 को सेमिपालाटिंस्क में कजाकिस्तान द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसे अन्य देशों ने भी समर्थन दिया। यह दिन परमाणु हथियारों के परीक्षण के बारे में जानकारी देने, शिक्षित करने और प्रतिबंधित करने की आवश्यकता पर जोर देता है। इस अवसर पर हर साल विभिन्न बैठकों, सम्मेलनों, प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
कैसे हुई परमाणु परीक्षणों की शुरुआत
बीसवीं सदी में कई देशों ने परमाणु परीक्षण किए। इसमें अमेरिका ने पहला परमाणु परीक्षण 16 जुलाई 1945 को किया। यह 20 किलोटन का परीक्षण था। अक्टूबर 1961 में रूस में सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण किया गया था, जो अब तक का बड़ा इतिहास है। इसमें 50 मेगाटन हथियार का परीक्षण किया गया। इसके बाद लगातार कई देश परमाणु परीक्षणों की होड़ में लग गए। इसके बाद साल 2009 में उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया था, जिसे दुनिया के ज्यादातर देशों ने निंदनीय बताया, इसके बाद यूएन में प्रस्ताव पेश किया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के कई देशों में कम से कम 2 हजार परमाणु परीक्षण किये जा चुके हैं।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) को कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी संधि के नाम से भी जाना जाता है। ये एक ऐसा समझौता है जिसके द्वारा परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाया जाता है। यह संधि 24 सितंबर 1996 को लागू हुई थी। अब तक 183 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। जो समर्थन करते हैं कि दुनिया में परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध रहे। इस संधि पर भारत, इजरायल, पाकिस्तान दक्षिणी सुदान और उत्तरी कोरिया ने अभी भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वहीं दूसरी तरफ दुनिया के 5 पावरफुल देश। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन आते हैं। ये भी लिस्ट से बाहर हैं। वैश्विक परमाणु शक्तियों को आपस में हथियारों की होड़ से बचकर मानवता की भलाई के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। जापान में परमाणु बम की त्रासदी दुनिया के लिए एक कठोर उदाहरण रही। भविष्य में होने वाले किसी भी परमाणु परीक्षण के खिलाफ पूरी दुनिया को एक साथ खड़ा होना चाहिए और सभी परमाणु हथियारों से लैस देशों को परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में काम करना चाहिए। इसको लेकर लगातार कई देशों पर नजर भी रखी जाती है। ताकि कोई देश परमाणु परीक्षण न करे।
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