Sunday Special: जानें कारगिल युद्ध का पूरा इतिहास, 1999 में क्या हुआ भारत और पाकिस्तान के बीच

Sunday Special: दोस्तों हर सप्ताह हम 'रविवार स्पेशन' स्टोरी (Sunday Special Story) में कुछ ऐसी कहानी लेकर आते हैं। जो हमारे पाठकों को पसंद आती हैं। इस रविवार स्पेशल में हम बात कर रहे हैं साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध (History Of Kargil War) के इतिहास के बारे में, बेशक 22 साल गुजर गए भारत पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध को। लेकिन हर साल 26 जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है, इस जंग में शहीद हुए जवानों को सम्मान देने के लिए यह खास दिन रखा गया है।
वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में स्थिति कारगिल जिले में 22 साल पहले 26 जुलाई 1999 को भारत और पाकिस्तान के बीच कम से कम 2 महीने तक युद्ध चला था। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा जवानों को खो दिया। और 1300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे। भारतीय सेना ने इस युद्ध को 'ऑपरेशन विजय' कहा, तो वायुसेना ने मिशन को 'ऑपरेशन सफेद सागर' बताया था।
कारगिल युद्ध 1999 का इतिहास
कहते हैं कि साल 1999 में कारगिल की पहाड़ियों पर 8 मई के बीच पाकिस्तानी सेना और कश्मीरी आतंकवादियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान 1998 की सर्दियों में ही ऑपरेशन की योजना बना रहा था। कारगिल युद्ध में तीन प्रमुख चरण थे। पहला- कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रित खंड पर कब्जा करना। दूसरा- भारत ने पहले रणनीतिक परिवहन मार्गों पर कब्जा कर लिया और तीसरा- सेना ने पाकिस्तानी सेना को नियंत्रण रेखा के पार वापस धकेल दिया।
भारतीय सेना 30 जून 1999 तक विवादित कश्मीर क्षेत्र की सीमा पर पाकिस्तानी चौकियों को निशाना बनाने के लिए तैयार थी। भारत ने कश्मीर में 5 पैदल सेना डिविजन, 5 स्वतंत्र ब्रिगेड और अर्धसैनिक बलों की 44 बटालियनों को ट्रांस्फर कर दिया था। लगभग 73,000 सैनिकों को इस इलाके में तैनात कर दिया गया था।
पाकिस्तान ने बनाई थी बड़ी योजना
1999 में पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर एसओसी के पार भेजने लगा था। इस घुसपैठ को ऑपरेशन बद्र नाम दिया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना था। साथ ही भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना भी था। लेकिन पाकिस्तान को भारत के सामने मुंह की खानी पड़ी। एक रिपोर्ट बताती है कि सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा था। ये युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 खत्म हुआ और भारत की जीत हुई।
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