Sunday Special: सरदार वल्लभ भाई पटेल थे बर्फ से ढके एक ज्वालामुखी, जानें इनके बारे में

Sunday Special: सरदार वल्लभ भाई पटेल थे बर्फ से ढके एक ज्वालामुखी, जानें इनके बारे में
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भारत की स्वतंत्रता संग्राम (freedom struggle) मे उनका महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की आजादी के बाद वे देश के पहले गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री (Home Minister and Deputy Prime Minister ) बने थे।

Sunday Special: भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की 146वीं जयंती है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री थे। सरदार पटेल बर्फ से ढके एक ज्वालामुखी (Volcano) थे। वे नवीन भारत के निर्माता थे।

भारत की स्वतंत्रता संग्राम (freedom struggle) मे उनका महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की आजादी के बाद वे देश के पहले गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री (Home Minister and Deputy Prime Minister ) बने थे। वास्तव में वे भारतीय जनमानस अर्थात किसान (farmers) की आत्मा थे। आज उनके जीवन के आरंभ से ले कर अंत तक जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों हम आपको बतानें जा रहे हैं।

स्वतंत्रता आंदोलन (freedom movement) में सरदार वल्लभ भाई पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा संघर्ष में हुआ था। उन दिनों गुजरात (Gujarat) का खेडा खण्ड (Kheda division) उन भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर (टैक्स) में छूट की मांग की थी। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया। उन्होंने किसानों को टैक्स न देने के लिए प्रेरित किया।

इसके बाद सरकार (government) को झुकना पड़ा और सरकार ने टैक्स में राहत (tax relief) दे दी। यह सरदार पटेल (Sardar Patel) की पहली सफलता थी। 31 अक्टूबर 1875 को जन्में सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) का जन्म नाडियाड गुजरात के लेवा पट्टीदार जाति (Leva Pattidar caste) के एक समृद्ध ज़मींदार परिवार में हुआ था। पटेल भारतीय बैरिस्टर और राजनेता (Indian barrister and politician) थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के नेताओं में से एक थे। पटेल ने करमसद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय में शिक्षा हासिल की थी। लेकिन उन्होंने अधिकांश ज्ञान स्वाध्याय (self-study) से अर्जित किया।

सरदार पटेल (Sardar Patel) 1927 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के सत्याग्रह (Satyagraha) के साथ जुड़े, लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को गांधी (Gnahdi) के नैतिक विश्वासों व आदर्शों के साथ नहीं जोड़ा। उनका मानना था कि गांधी की संपूर्ण अहिंसा नीति, भारत के तत्कालीन राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक परिप्रेक्ष्य में सही नहीं है। उन्हें व्यावहारिक, निर्णायक और यहां तक की कठोर भी माना जाता था तथा अंग्रेज (British) उन्हें एक खतरनाक शत्रु (dangerous enemy) मानते थे।

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