Sunday Special: जानें क्या होता है परिसीमन और किसी भी राज्य के लिए कब है जरूरी

Sunday Special: जानें क्या होता है परिसीमन और किसी भी राज्य के लिए कब है जरूरी
X
Sunday Special: जम्मू कश्मीर में विकास की रफ्तार को तेज करने और एक चुनी हुई सरकार बनाने के लिए केंद्र सरकार राजी है। लेकिन उससे पहले सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन जरूरी बताया है।

Sunday Special: जम्मू कश्मीर में विकास की रफ्तार को तेज करने और एक चुनी हुई सरकार बनाने के लिए केंद्र सरकार राजी है। लेकिन उससे पहले सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन जरूरी बताया है। ऐसे में अब हर तरफ परिसीमन को लेकर चर्चा हो रही है। आखिर परिसीमन क्या होता है, कब इसकी जरूरत होती है और इससे क्या फायदा होता है। किसी भी देश या राज्य के लिए परिसीमन जरूरी होता है। भारत में सबसे पहले परिसीमन आयोग का गठन 1952 में किया गया। देश में 1952 से लेकर 2002 तक सिर्फ 4 बार परिसीमन आयोग का गठन किया गया।

परिसीमन क्या होता है (What is Delimitation)

परिसीमन का मतलब किसी भी राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को तय करना है। ताकि राज्य में विधानसभा और लोकसभा की सीटें तय हो सकें। उसे परिसीमन कहा जाता है। आसान भाषा में यह भी कह सकते हैं कि देश में निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने के लिए जब राष्ट्रपति एक स्वतंत्र संस्था का गठन करते हैं तो उसे परिसीमन आयोग कहते हैं। परिसीमन का अर्थ है चुनाव से पहले सीमाओं का निर्धारण करना। परिसीमन को किसी देश या राज्य की निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा या सीमा तय करने का कार्य या प्रक्रिया कहा जाता है। परिसीमन जनसंख्या में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से तैयार करने की प्रक्रिया है। यह कवायद पूरी होने के बाद ही चुनाव कराए जाते हैं।

परिसीमन का क्या है उद्देश्य (What is purpose of delimitation)

परिसीमन आयोग को सीमा आयोग भी कहा जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का सही विभाजन किया जा सकते। ताकि सभी नागरिकों को प्रतिनिधित्व करने का समान अधिकार मिल सकते। कहते हैं कि जब भी जनगणना होती है तो उसके बाद संविधान के अनुच्छेद-82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम लागू किया जाता है। जो स्वतंत्र रूप से काम करता है।




कैसे काम करता है परिसीमन आयोग

साफ और सीधे शब्दों में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ही परिसीमन आयोग के अध्यक्ष होते हैं। किसी भी राज्य की विधानसभा और लोकसभा सीटों के लिए सीमाओं को तय करना है। परिसीमन आयोग सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं कर सकता है। सिर्फ जनगणना के अनुसार ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों की संख्या आरक्षित करता है। देश में सबसे पहले परिसीमन आयोग का गठन 1952 में हुआ था।

कैसे और कब होता है परिसीमन?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में परिसीमन का उल्लेख किया गया है, जो इस आयोग को काम करने की शक्ति प्रदान करता है। जब भी 10 साल में एक बार देश की जनगणना होगी तब उसके बाद परिसीमन किया जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा का 1971 में और राज्य की विधानसभाओं का 2001 में जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ। 1952 में परिसीमन होने के बाद 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन किया गया। अब 2026 में सभी राज्यों में परिसीमन की प्रक्रिया होगी।

Tags

Next Story