गांवों को एंबुलेंस देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को दी सलाह, जानें क्या है मामला

गांवों को एंबुलेंस देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को दी सलाह, जानें क्या है मामला
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उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। जिसमें सभी गांवों को एंबुलेंस देने का आदेश पारित किया था।

कोरोना महामारी के दौरान कई राज्यों में हो रही ऑक्सीजन और दवाओं की कमी के बीच हाईकोर्ट आदेश दे रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। जिसमें सभी गांवों को एंबुलेंस देने का आदेश पारित किया था। इसके साथ ही हर नर्सिंग होम में ऑक्सीजन सुविधा देने और बेड वाले नर्सिंग होम में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा उत्तर प्रदेश में 1 महीने के अंदर सभी गांवों के लिए दो-दो आईसीयू एंबुलेंस देने के लिए कहा था। वहीं इसके साथ यह भी आदेश दिया गया था की उत्तर प्रदेश के सभी नर्सिंग होम में ऑक्सीजन बेड की सुविधा दी जाए। इसके अलावा जिन नर्सिंग होम में बेड की संख्या तय है, वहां पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएं। जिसके बाद इसी दौरान कई राज्यों के हाईकोर्ट ने मेडिकल व्यवस्था को लेकर आदेश दे चुके हैं।

राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर 97,000 गांव हैं और महीने भर के अंदर दो-दो एंबुलेंस देना और उसके अलावा अन्य निर्देशों का पालन भी कैसे हो पाएगा। यह अव्यवहारिक है। मेहता ने यह भी कहा कि अन्य हाईकोर्ट भी ऐसे ही आदेश जारी कर रहे हैं। तब जजों ने कहा कि हाईकोर्ट में कौन सी बेंच किस मामले को सुनेगी। यह तय करना वहां के चीफ जस्टिस का अधिकार है। हम इसमें दखल नहीं देंगे।

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