सुप्रीम कोर्ट से अनिल अंबानी को बड़ी राहत, Delhi Metro से इस मामले में जीता केस, मिलेंगे 46 अरब से भी ज्यादा रुपये

अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Reliance Infrastructure Limited) ने दिल्ली मेट्रो से चार साल से चल रहे केस को जीत लिया है। अब दिल्ली मेट्रो को उन्हें 46.6 बिलियन यानि 4600 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के दो-जज के पैनल ने गुरुवार को आर्बिट्रेशन अवॉर्ड (Arbitration Award) से धन के नियंत्रण को लेकर सुनवाई की। कोर्ट ने अनिल अंबानी की इकाई के पक्ष में 2017 के मध्यस्थता पुरस्कार को बरकरार रखा है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, आर्बिट्रेशन अवॉर्ड ब्याज सहित 4600 करोड़ रुपये से अधिक का है।
अंबानी के लिए बड़ी जीत
यह फैसला अंबानी के लिए बड़ी जीत है क्योंकि उनकी दूरसंचार कंपनियां दिवालियेपन में हैं और वह देश के सबसे बड़े ऋणदाता द्वारा दर्ज एक व्यक्तिगत दिवाला मामला (Personal insolvency case) लड़ रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद रिलायंस इंफ्रा के शेयरों में 5% की बढ़ोतरी हुई है।
क्या बोले अनिल की कंपनी के वकील
कंपनी के वकीलों ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि रिलायंस कर्जदाताओं को भुगतान करने के लिए पैसे का इस्तेमाल करेगी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने बैंकों को कंपनी के खातों को गैर-निष्पादित संपत्ति के रूप में चिह्नित करने से रोक दिया था। मामले में अंतिम फैसला उधारदाताओं पर कोर्ट के प्रतिबंध को भी हटा दिया है।
क्या है मामला
दरअसल, 2008 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने दिल्ली मेट्रो के साथ 2038 तक देश की पहली निजी शहर रेल परियोजना चलाने का कॉन्ट्रैक्ट किया था। 2012 में शुल्क और संचालन पर विवादों के बाद, अंबानी की फर्म ने दिल्ली के हवाई अड्डे मेट्रो परियोजना का संचालन बंद कर दिया था और दिल्ली मेट्रो के खिलाफ मध्यस्थता का मामला शुरू किया। मेट्रो ने कॉन्ट्रैक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए टर्मिनेशन फीस मांगी थी, जिसे लेकर यह मामला चल रहा था।
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