फ्री रेवड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, आप चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला सकते हैं?

देश में चुनाव के दौरान फ्री का ऐलान करने वाले वादों पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि इस मामले पर सुनवाई जरूरी है। अब कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से पूछा है कि फ्रीबीज मामले पर सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा क्यों नहीं कर सकती है। इस पर जोर देते हुए कि वह कार्यकारी क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहता।
जजों की एक नई पीठ इस मामले की सुवाई करेगी। भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इससे पहले एनवी रमना, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की तीन-न्यायाधीशों की पीठ चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के द्वारा वोटरों को फ्री के वादा करने से रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज मामले पर चर्चा करने के लिए सरकार एक समिति क्यों नहीं बनाती है। केंद्र इस पर विचार-विमर्श करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती है। सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से ये सवाल पूछा।
इसको लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि केंद्र हर तरह से मदद करेगा। समिति तीन महीने में एक रिपोर्ट सौंप सकती है और फिर आपके लॉर्डशिप द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है। आखिरकार जो भी निर्णय हो।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज जो विपक्ष में है वह कल सत्ता में आ सकते हैं और इसलिए वे आएंगे और इस पर रोक लगानी होगी। इसलिए मुफ्त आदि जैसी चीजें जो अर्थव्यवस्था को नष्ट कर सकती हैं। इसलिए इस मामले पर बहस करना जरूरी है।
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