गरीब सवर्णों को मिलने वाला EWS आरक्षण रहेगा जारी, केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

गरीब सवर्णों को मिलने वाला EWS आरक्षण रहेगा जारी, केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर
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सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को हरी झंडी दे दी है। बहुमत के आधार पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं बताया है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक अहम फैसला देते हुए गरीब सवर्णों (Poor Upper Castes) को मिलने वाले 10 फ़ीसदी आरक्षण (Reservation) को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने बहुमत के आधार पर फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए जस्टिस माहेश्वरी (Justice Maheshwari) ने कहा कि जनरल कैटेगरी में EWS कोटा संवैधानिक और पूरी तरह से वैध है, वहीं और जस्टिस भट (Justice Bhat) ने इसे अंसवैधानिक करार दिया।

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार (Central Government) ने संविधान (Constitution) में 103वां संशोधन (Amendment) करते हुए सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण दिया था। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं। जिन पर बीते 27 सितंबर को सुनवाई करते सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

क्या है EWS आरक्षण

लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी 2019 में मोदी सरकार ने संविधान में 103वां संशोधन किया था। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (Economically Weaker Section) के लोगों को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण दिया गया था। संविधान के मुताबिक किसी भी स्तिथि में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर नहीं होनी चाहिए। अभी SC, ST और OBC वर्ग को जो आरक्षण प्राप्त है, वो भी 50 फीसदी की सीमा के भीतर ही है। लेकिन सामान्य वर्ग को 10 फीसदी कोटा मिलने से, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बाहर हो गई है। इसी पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं।

आर्थिक रूप से कमजोर कौन-कौन?

EWS आरक्षण सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ही दिया जाता है। सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर उन परिवारों को माना जाता है, जिनकी सालाना आय आठ लाख रुपये से कम (Annual income less than Rs.8 lakh) होती है। सिर्फ इन्ही लोगों को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। साल 2019 में केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण देने का कानून रोजगार और उच्च शिक्षा में बराबर अवसर देकर सामाजिक समानता (Social Equality) को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट को आज क्या तय करना था?

  • 103वें संशोधन संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है या नहीं?
  • निजी संस्थानों में एडमिशन के लिए EWS कोटा देने की अनुमति संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है या नहीं?
  • SC, ST, OBC को दिए जाने वाले आरक्षण से EWS आरक्षण को बाहर रखना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है या नहीं?

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