SC ने बढ़ाई ED की ताकत, रिश्वत लेने वालों पर होगी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई

SC ने बढ़ाई ED की ताकत, रिश्वत लेने वालों पर होगी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले से प्रवर्तन निदेशालय (ED) को और ज्यादा ताकत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने अपने नए फैसले में कहा है कि रिश्वत लेना मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एक अपराध है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले से प्रवर्तन निदेशालय (ED) को और ज्यादा ताकत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने अपने नए फैसले में कहा है कि रिश्वत लेना मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के तहत एक अपराध है। इन मामलों में ईडी PMLA के तहत कार्रवाई कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले से पहले ऐसे मामलों में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 7 के तहत पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में डीएमके विधायक और तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज केस की सुनवाई की गई थी। इस मामले में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने ये फैसला सुनाया। उन पर आरोप है कि 2011 और 2015 के बीच स्टेट ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में हुई भर्तियों के मामले में रिश्वत ली गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से जांच करने का आदेश भी दिया है। बता दें कि इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने सेंथिल के खिलाफ ईडी की जांच पर स्टे लगा दिया था। इसके बाद ईडी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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जस्टिस रामसुब्रमण्यन ने अपने इस फैसले में कहा कि अगर कोई पब्लिक सर्वेंट रिश्वत लेता है, तो वो अपराध करता है। इस दौरान उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के सेक्शन 3 की परिभाषा बताई। उन्होंने कहा कि इसके तीन हिस्से हैं। पर्सन, प्रोसेस ऑफ एक्टिविटी और प्रोडक्ट। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि पर्सन और प्रोसेस को लेकर कहीं कोई शक नहीं है, लेकिन प्रोडक्ट के लिए सेक्शन 2(1)(U) को समझने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि सेक्शन 3 में अपराध की छह तरह की आपराधिक गतिविधियां बताई गई हैं, ये कंसीलमेंट, पजेशन, एक्विजिशन, यूज, प्रोजेक्टिंग एज अनटेंटेड मनी, क्लेमिंग एज अन टेंटेड मनी हैं। इसमें तीसरी गतिविधि कुछ भी हासिल करने से जुड़ी है। अगर कोई पब्लिक सर्वेंट रिश्वत की रकम लेता है, तो वह तीसरी गतिविधि के तहत आरोपी ठहराया जा सकता है, लिहाजा उसके खिलाफ मनी लांड्रिंग की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई रिश्वत की रकम को अपने पास नहीं रखता, लेकिन उसका इस्तेमाल करता करता है, तो वह भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी ठहराया जा सकता है, क्योंकि आपराधिक गतिविधियों में यूज भी शामिल है।

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