कश्मीरी पंडितों की हत्या से जुड़ी याचिका पर SC का सुनवाई से इनकार, दी यह सलाह

कश्मीरी पंडितों की हत्या से जुड़ी याचिका पर SC का सुनवाई से इनकार, दी यह सलाह
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देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने सोमवार को कश्मीरी पंडितों की हत्या और पलायन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।

कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) की हत्या और पलायन को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और उचित उपाय तलाशने की अनुमति दी। याचिका टीका लाल टपलू के बेटे आशुतोष टपलू ने दायर की थी। 1989 में जेकेएलएफ आतंकवादी (JKLF terrorists) ने टीका लाल टपलू को मार दिया था।

आशुतोष टपलू ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अपनी याचिका वापस ले ली थी। उनके द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि 32 साल बीत चुके हैं, परिवार को यह भी नहीं पता कि मामले में किस तरह की जांच की गई। परिवार को एफआईआर (FIR) की कॉपी भी नहीं दी गई। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की एसआईटी द्वारा जांच (Probe SIT) की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और सी.टी. रविकुमार ने एनजीओ 'वी द सिटिजन' का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से केंद्र सरकार (Central government) के साथ शिकायतों को उठाने के लिए कहा। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने पीठ से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) की दुर्दशा को उजागर करते हुए उनकी दलीलें सुनने का आग्रह किया। पीठ ने कहा कि उन्हें केंद्र से संपर्क करना चाहिए।

मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने पर सहमति जताई। पीठ ने वकील को केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों के समक्ष एक प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी। याचिका में घाटी के प्रवासियों के पुनर्वास और 1989-2003 के बीच हिंदू और सिख समुदायों (Hindu and Sikh communities) के नरसंहार को अंजाम देने वालों की पहचान करने के लिए एक एसआईटी गठित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। 'रूट्स इन कश्मीर' द्वारा दायर एक सुधारात्मक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें 1989-90 के दौरान कश्मीरी पंडितों की कथित सामूहिक हत्याओं और नरसंहार की सीबीआई (CBI) या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराने की मांग की गई है।

संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि क्यूरेटिव पिटीशन के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता और अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा एक प्रमाण पत्र जारी किया गया है। क्यूरेटिव याचिका (Curative Petition) में सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार पर 2018 के दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के आदेश का भी उल्लेख किया गया है।

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