New Parliament का उद्घाटन PM मोदी ही करेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने 'विपक्षी' को लगाई फटकार

New Parliament का उद्घाटन PM मोदी ही करेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी को लगाई फटकार
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नए संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू (Draupadi Murmu) द्वारा कराने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है। साथ ही, याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। पढ़िये रिपोर्ट...

नए संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू (Draupadi Murmu) द्वारा कराने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है। साथ ही, याचिकाकर्ता को भी फटकार लगाई है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह मामला इस अदालत के लिए प्रासंगिक नहीं है। कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री संसद का कार्यकारी प्रमुख होता है, जबकि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आभार मानिए कि आप पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यह याचिका क्यों दाखिल की गई है, इस बात का हमें अच्छे तरीके से पता है और ऐसी याचिकाएं देखने का काम सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है।

याचिकाकर्ता ने क्या की थी मांग

याचिकाकर्ता वकील जया सुकिन ने दायर जनहित याचिका में कहा कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा की गई घोषणा और नए संसद भवन के उद्घाटन के संबंध में लोकसभा के महासचिव द्वारा भेजा गया निमंत्रण संविधान का उल्लंघन हैं। साथ ही, उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भारतीय समाज में सर्वोच्च स्थान रखता है, संसद के प्रमुख और प्रथम नागरिक दोनों के रूप में कार्य करता है। याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुसार, संसद में भारत के राष्ट्रपति के साथ-साथ राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति ही संसद के दोनों सदनों को संबोधित करता है, लेकिन केंद्र सरकार राष्ट्रपति को अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित भी नहीं किया जा रहा है।

नए संसद भवन के उद्धाटन को लेकर प्रधानमंत्री के फैसले की कांग्रेस, वामपंथी, टीएमसी, सपा और आप जैसे लगभग 20 विपक्षी पार्टियों ने व्यापक रूप से आलोचना की है, जिन्होंने उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने विपक्ष की स्थिति को देश के संविधान में निहित लोकतंत्र और मूल्यों के लिए सीधी चुनौती बताया है।


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