दुनिया ने भी माना भारत का लोहा, जर्मन के राजदूत बोले- चीन को इंडिया ही पछाड़ सकता है, पढ़िये वजह

दुनिया ने भी माना भारत का लोहा, जर्मन के राजदूत बोले- चीन को इंडिया ही पछाड़ सकता है, पढ़िये वजह
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भारतीय-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव बना है। पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने इस घटना को लेकर बड़ा बयान दिया है। उधर, जर्मन के राजदूत ने भी भारत को इस क्षेत्र में चीन के मुकाबले मजबूत माना है।

अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को भारतीय-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प (Tawang clash) के बाद दोनों देश के बीच तनाव बना है। पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले (Former Foreign Secretary of China Vijay Gokhale) ने कहा है कि 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए घटनाक्रम ने भारत के लिए रणनीतिक स्पष्टता जाहिर की और चीन के प्रति उसके दृष्टिकोण में बदलाव आया है।

उन्होंने यह भी कहा कि चीन को भी अपनी सोच पर पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि उसकी सैन्य आक्रामकता पर भारत की प्रतिक्रिया हमेशा ऐसी नहीं होगी। चीन में भारत के पूर्व राजदूत रह चुके गोखले (China Vijay Gokhale) ने कहा कि एलएसी पर दूसरे पक्ष के पास हथियारों की मौजूदगी को देखते हुए भारत भी सैन्य क्षमता बढ़ाने को लेकर अधिक इच्छुक और प्रतिबद्ध है।

गोखले ने 'चीन की भारत नीति: चीन-भारतीय संबंधों के लिए सबक' शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में कहा, "भारत के भविष्य के कार्यों को उसकी वर्तमान क्षमता के आधार पर आंकना गलत होगा।" यह लेख थिंकटैंक 'कार्नेगी इंडिया' के लिए लिखा गया था।

गोखले ने कहा, ''संयम की रणनीति की अवधारणा बदल गई है। इसकी वजह राजनीतिक गलियारे में आक्रामक रुख अपनाने का बदलाव भी है, जिसके चलते रेजांग ला में 'स्नो लेपर्ड जवाबी कार्रवाई' की गई। गोखले ने कहा कि 2020 एलएसी के घटनाक्रम के कारण चीन को लेकर भारत का नजरिया बदल गया है। उन्होंने कहा, "भारत के निर्णय लेने और रणनीतिक हलकों में अस्पष्टता है कि क्या चीन एक भागीदार है या प्रतिद्वंद्वी, रणनीतिक स्पष्टता द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

जर्मन राजदूत बोले- अकेला भारत ही चीन को पछाड़ सकता है

वहीं, जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन (German Ambassador Philipp Ackermann) ने एक इंटरव्यू दौरान कहा है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प चिंता का विषय है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, 'भारत के अलावा कोई दूसरा देश नहीं है, जो चीन का मुकाबला कर सके। लोग अभी भी वियतनाम और मलेशिया को देखते हैं। मैं नहीं जानता कि वे ऐसा क्यों करते हैं? शायद इसके पीछे भारत में संरक्षणवादी माहौल और नियमों से जुड़ी समस्याएं हैं।' जब उनसे भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, जर्मनी को इस एफटीए की जरूरत है।

इससे भारत के प्रति हमारा व्‍यापारिक व्‍यवहार पूरी तरह से बदल जाएगा। अभी हम चीन पर ज्यादा निर्भर हैं। हमें दूसरे देशों के साथ भी व्यापार बढ़ाना होगा। दुर्भाग्य से, भारत प्राथमिकता के उस स्तर पर नहीं है जैसा कि होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या और अन्य पहलुओं की दृष्टि से भारत के अलावा कोई भी देश ऐसा नहीं है, जो चीन का मुकाबला कर सके।

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