Teachers' Day 2020: जानें 5 सितंबर को कैसे हुई इस दिन शिक्षक दिवस की शुरुआत

Teachers Day 2020: जानें 5 सितंबर को कैसे हुई इस दिन शिक्षक दिवस की शुरुआत
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Teachers' Day 2020: पांच सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के लिए और छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन स्कूलों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं और बच्चे टीचर्स बनते हैं।

पांच सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के लिए और छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन स्कूलों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं और बच्चे टीचर्स बनते हैं। एक शिक्षक का किसी भी छात्र के जीवन में खास महत्व होता है। कहा जाता है कि किसी भी बच्चे के लिए सबसे पहले स्थान पर उसके माता-पिता और फिर दूसरे स्थान पर शिक्षक होता है।

शिक्षक एक बच्चे के भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान देता है। बता दें कि शिक्षक दिवस पूरी दुनिया के अधिकांश देशों में मनाया जाता है, लेकिन सबने इसके लिए अलग-अलग दिन निर्धारित किए हुए हैं। भारत में शिक्षा दिवस के लिए 5 सितंबर का दिन निर्धारित है। यहां शिक्षक वह छात्रों के लिए यह दिन एक अलग एहमियत रखता है।

कैसे हुई अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत

यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस' घोषित किया था। साल 1994 से ही इसे मनाया जा रहा है। शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरुकता लाने के मकसद से इस विशिष्ट दिन की शुरुआत की गई थी। आज विश्व भर के लगभग सौ देशों में यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन स्कूल-कॉलेजों आदि में अपने अध्यापकों तथा गुरुओं के सम्मान में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं।

भारत में कैसे हुई शिक्षक दिवस की शुरुआत

भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अलग-अलग तारीख पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

देश के पहले उप-राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल 1975 को हुआ था।

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