Udaipur Chintan Shivir: उदयपुर में नव संकल्प चिंतन शिविर में कांग्रेस ने लिए कई निर्णय, जानें क्या कहा

कांग्रेस पार्टी के नए उदय के लिए उदयपुर में चले तीन दिवसीय नव संकल्प चिंतन शिविर में पार्टी नेताओं ने कई बड़े फैसले लिए। संगठन व कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता ही पार्टी की असली ताकत हैं। संगठनात्मक स्तर पर कांग्रेस की निर्णायक भूमिका निभाने हेतु व्यापक विचार मंथन हुआ। इस मंथन के निष्कर्षों का सारांश यह है कि अगले 90 से 180 दिनों में देशभर में ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त नियुक्तियां संपूर्ण कर जवाबदेही सुनिश्चित कर दी जाए। संगठन को प्रभावी बनाने हेतु ब्लॉक कांग्रेस के साथ-साथ मंडल कांग्रेस कमिटियों का भी गठन किया जाए। कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर तीन नए विभागों का गठन किया जाए।
उदयपुर में पार्टी ने लिए कई निर्णय
1. 'पब्लिक इनसाईट डिपार्टमेंट' ताकि भिन्न-भिन्न विषयों पर जनता के विचार जानने व नीति निर्धारण हेतु तर्कसंगत फीडबैक कांग्रेस नेतृत्व को मिल पाए।
2. 'राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट' का गठन हो, ताकि पार्टी की नीतियों, विचारधारा, दृष्टि, सरकार की नीतियों व मौजूदा ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का व्यापक प्रशिक्षण हो पाए। केरल स्थित 'राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़' से इस राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की जा सकती है।
3. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्तर पर 'इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट' का गठन किया जाए, ताकि हर चुनाव की तैयारी प्रभावशाली तरीके से हो व अपेक्षित परिणाम निकलें।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव के तहत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रदेश कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के कार्य का मूल्यांकन भी हो, ताकि बेहतरीन काम करने वाले पदाधिकारियों को आगे बढ़ने का मौका मिले और निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी हो पाए। पार्टी में लंबे समय तक एक ही व्यक्ति द्वारा पद पर बने रहने के बारे कई विचार सामने आए। संगठन के हित में यह है कि पाँच वर्षों से अधिक कोई भी व्यक्ति एक पद पर न रहे, ताकि नए लोगों को मौका मिल सके। यही नहीं, मौजूदा भारत के आयु वर्ग व बदलते स्वरूप के अनुसार यह आवश्यक है कि कांग्रेस कार्यसमिति, राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत पदाधिकारियों की आयु 50 वर्ष से कम हो। राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल संगठनों की इकाईयों में सामाजिक वास्तविकता का प्रतिबिंब भी हो, यानि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं को न्यायसंगत प्रतिनिधित्व मिले। संगठन में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत लागू हो। इसी प्रकार, एक परिवार, एक टिकट का नियम भी लागू हो। यदि किसी के परिवार में दूसरा सदस्य राजनीतिक तौर से सक्रिय है, तो पाँच साल के संगठनात्मक अनुभव के बाद ही वह व्यक्ति कांग्रेस टिकट के लिए पात्र माना जाए।
उत्तर-पूर्व के प्रांतों के लिए गठित की गई नॉर्थ ईस्ट को-ऑर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष को कांग्रेस कार्य समिति का स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया जाए। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों में से कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा एक समूह का गठन हो, जो समय-समय पर जरूरी व महत्वपूर्ण राजनैतिक विषयों पर निर्णय लेने हेतु कांग्रेस अध्यक्ष को सुझाव दे व उपरोक्त निर्णयों के क्रियान्वयन में मदद करे।
हर प्रांत के स्तर पर भिन्न-भिन्न विषयों पर चर्चा करने व निर्णय हेतु एक पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी का गठन किया जाए। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व प्रदेश कांग्रेस कमिटियों का सत्र साल में एक बार अवश्य आयोजित हो। इसी प्रकार, जिला- ब्लॉक व मंडल कमिटियों की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हर जिला स्तर पर 9 अगस्त से 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन हो। जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के लक्ष्यों व त्याग तथा बलिदान की भावना प्रदर्शित हो।
बदलते परिवेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया व संचार विभाग के अधिकारक्षेत्र, कार्यक्षेत्र व ढांचे में बदलाव कर व्यापक विस्तार किया जाए तथा मीडिया, सोशल मीडिया, डाटा, रिसर्च, विचार विभाग आदि को संचार विभाग से जोड़ विषय विशेषज्ञों की मदद से और प्रभावी बनाया जाए। प्रदेशों के सभी मीडिया, सोशल मीडिया, रिसर्च आदि विभागों का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अंतर्गत रख सीधा जुड़ाव बने, ताकि पार्टी का संदेश प्रतिदिन देश के हर कोने-कोने में फैल सके।
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