Union Budget 2019 Highlights : निर्मला सीतारमण के लिए कृषि संकट है सबसे बड़ी चुनौती, जानें कृषि में कहां है सुधार की जरूरत

Union Budget 2019 Highlights : निर्मला सीतारमण के लिए कृषि संकट है सबसे बड़ी चुनौती, जानें कृषि में कहां है सुधार की जरूरत
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Union Budget 2019 : नवनियुक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Minister of Finance Nirmala Sitharaman) ने आगामी आम बजट 2019 के लिए तैयारियों में जुट गई हैं। 5 जुलाई को जब 17वीं लोकसभा का बजट (Union Budget 2019) पेश होगा तो निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कृषि क्षेत्र में सुधार लाने की।

Union Budget 2019 : नवनियुक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Minister of Finance Nirmala Sitharaman) ने आगामी आम बजट 2019 के लिए तैयारियों में जुट गई हैं। 5 जुलाई को जब 17वीं लोकसभा का बजट (Union Budget 2019) पेश होगा तो निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कृषि क्षेत्र में सुधार लाने की। रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goel) ने जब फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था तब देश के छोटे व सीमांत किसानों की मदद के लिए प्रधानमंत्री किसान निधि (PM Kisan Nidhi) योजना की शुरूआत करके किसानों के लिए एक साहसिक फैसला लिया था।

अपने दूसरे कार्यकाल में भी मोदी सरकार (Modi Sarkar) इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए सभी किसानों को कवर (Kisan Cover) देने की योजना बनाई है। इसके लागू होते ही यह योजना और भी मजबूत और किसानों के लिए लाभकारी हो गई है। इस योजना के तहत किसानों को 6000 रूपए सलाना मिलेगा। योजना के तहत सरकार पर 87,217 करोड़ रूपए का अतिरिक्त भार आएगा।

भले ही मोदी सरकार ने किसानों को 6000 रूपए का सलाना कवर दिया गया है, लेकिन किसानों को किसी गंभीर समस्या से निपटने का कोई विकल्प नहीं दिया गया है। यानी कृषि संकट का स्थायी समाधान बजट के दायरे से बाहर है। सरकार को इस क्षेत्र में साहसिक सुधार करने और समस्या को ठीक करने के लिए कृषि के आधुनिकीकरण पर जोर देने की जरूरत है। जिससे की किसानों का कंधा मजबूत हो सके।

कृषि को आधुनिक बनाने की जरूरत (Need to Modernize Agriculture)

भारत में करीब 14.5 करोड़ किसानों में से 12.5 करोड़ यानी 86 फीसदी छोटे और सीमांत किसान हैं जिनकी 2 एकड़ से भी कम जमीन है। यह कृषि संकट का सबसे अहम समस्या है। कोऑपरेटीव कंपनियों और उत्पादक संगठनों के तहत उन्हें व्यवस्थित करने से उन्हें सस्ते दामों पर मशीनें मिल सकती है।

यह कृषि को आधुनिक बनाने में भी मदद करेगा, इसके तहत कम पानी, कम फर्टीलाइजर में भी किसान अच्छी फसल उगा सकते हैं। नई तकीनीक के द्वारा हम किसानों के हालात को सुधार सकते हैं। इसके लिए उन्नत मशीनें भी आ गई हैं। जिसकी खरीद व किसानों तक पहुंच सरकार की जिम्मेदारी है। इसे आगामी बजट में शामिल करने की जरूरत है।

कृषि बाजारों की हो सुधार (Modernise Agricultural Markets)

विश्व स्तर पर आज किसानों की सबसे बड़ी समस्या है कि उपज व फसल के मूल्य की स्थिरता बाजार में बनी रहे। आजकल हालात ये है कि फसल कटते ही उसके दामों में काफी गिरावट देखने को मिलती है।

वहीं अनाज खरिदने वाले बड़े व्यापारी दाम अलग ही दामों पर उसे बेचते हैं यानी किसान जब फसल बेचता है तो व्यापारी कम दामों पर उसे लेते हैं जबकि वही किसान जब खरिदने जाता है तो उसे उससे महंगे दामों में मिलता है। सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली अब बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है।

अधिकांश किसान अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिेए मजबूर रहते हैं। बाजार में जब फसलों या अनाजों का दाम गिरता है तो सरकार को चाहिए कि किसानों को मुआवजा दे। इसे भी इस बजट में शामिल किया जा सकता है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को समर्थन की जरूरत (Support food processing industry)

भारत ने कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। देश को अब एक मजबूत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का निर्माण करना चाहिए, जो किसान को कृषि उपज और पारिश्रमिक कीमतों की स्थायी मांग सुनिश्चित करेगा।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लाने से भारत के गरीब गांवों के किसान समृद्धि की ओर बढ़ेंगे। गरीबी को कम करने के लिए ग्रामीण स्तर पर किसानों की दशा सुधारने की जरूरत है। हालांकि सरकार ने इस दिशा में काम करने का संकेत दे दिया है।

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