स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में टीबी के मामलों की संख्या में वृद्धि की खबरों का किया खंडन

देशभर में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में उतार चढ़ाव का सिलसिला जारी है। इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से ठीक होने वाले मरीजों में टीबी के मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि होने की खबरों का खंडन किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना और टीबी के मामलों को साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण भी सामने नहीं आया है ना ही कोई ठोस सबूत मिला है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह भी कहा गया है कोरोनावायरस और टीवी दोनों ही बीमारियां संक्रामक हैं। दोनों ही बीमार है मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करती हैं। लेकिन, अभी तक दोनों पर आरोप लगाना ठीक नहीं है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों कुछ रिपोर्टों में बड़ा दावा किया गया था। कहा गया था कि मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने पाया है कि टीबी के मरीजों की संख्या अचानक वृद्धि हुई है इन सभी का संबंध कोरोना वायरस से है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कोविड-19 और टीबी के बीच संबंध की खबरों को खंडन करने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि साल 2020 में कोरोना से संबंधित प्रतिबंधों के प्रभाव की वजह से देश में टीबी के मामले की अधिसूचना में लगभग 25 फीसदी की कमी आई है।
हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि पोस्ट-कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमजोर इम्यूनिटी की वजह से कोरोना से ठीक होने वाले व्यक्ति को टीबी का वायरस संक्रमित कर सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 'टीबी बेसिली' एक निष्क्रिय अवस्था में मनुष्यों में मौजूद हो सकता है और किसी भी वजह से व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर होने पर अपना प्रसार काफी तेजी से कर सकता है।
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