'फानी' पर भारत की तैयारियों पर UN भी फिदा, अचूक सटीकता की सराहना की

चक्रवाती तूफान फानी से तैयारियों को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार की तारीफ की है। आपदा के खतरों से जुड़ी यूएन की एजेंसी ओडीआरआर के प्रवक्ता डेनिस मैक्लीन ने कहा कि सरकार की जीरो कैजुएलिटी पॉलिसी और भारतीय मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी की बदौलत समय रहते 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया। इधर, फानी से ओडिशा में अब तक 12 और बांग्लादेश में 14 लोगों के मौत की खबर है।
संयुक्त राष्ट्र की आपदा न्यूनीकरण एजेंसी ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से चक्रवाती तूफान फोनी की पूर्व चेतावनियों की लगभग अचूक सटीकता की सराहना की है। भारतीय मौसम विभाग की चेतावनियों ने लोगों को बचाने और जनहानि को काफी कम करने की सटीक योजना तैयार करने में अधिकारियों की मदद की और पुरी तट के पास इस चक्रवाती तूफान के टकराने के बाद ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकी।
भारत में पिछले 20 साल में आए इस सबसे भयंकर तूफान ने भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा के तट से टकराने के बाद कम से कम आठ लोगों की जान ले ली। तीर्थस्थल पुरी में समुद्र तट के पास स्थित इलाके और अन्य स्थान भारी बारिश के बाद जलमग्न हो गए जिससे राज्य के करीब 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। भारतीय मौसम विभाग ने फोनी को अत्यंत भयावह चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां फानी की गति पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों में रह रहे परिवारों को बचाने के इंतजाम कर रही हैं। यह तूफान पश्चिम बंगाल में दस्तक देने के बाद बांग्लादेश पहुंचेगा जिसे अलर्ट पर रखा गया है।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मामी मिजुतोरी ने कहा, अत्यंत प्रतिकूल स्थितियों के प्रबंधन में भारत का हताहतों की संख्या बेहद कम रखने का दृष्टिकोण सेनदाई रूपरेखा के क्रियान्वयन में और ऐसी घटनाओं में अधिक जिंदगियां बचाने में बड़ा योगदान है।
मिजुतोरी आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 के सेनदाई ढांचे की ओर इशारा करता है। यह 15 साल का ऐच्छिक, अबाध्यकारी समझौता है जिसके तहत आपदा जोखिम को कम करने में प्रारंभिक भूमिका राष्ट्र की है लेकिन इस जिम्मेदारी को अन्य पक्षधारकों के साथ साझा किया जाना चाहिए।
हर महकमा मुस्तैद
ओडिशा और केंद्र सरकार के तमाम संबंधित विभाग फानी से निपटने के लिए तैयार थे। करीब 11 लाख लोगों पर इसका असर होता। आपदा प्रबंधन के 1 हजार प्रशिक्षित कर्मचारी खतरे की आशंका वाली जगहों पर भेजे गए। 300 हाईपावर बोट हर पल तैनात रहीं।
टीवी, कोस्टल साइरन और पुलिस के अलावा हर उस साधन का उपयोग किया गया जो आमजन की सुरक्षा के लिए जरूरी था। इसके लिए उड़िया भाषा का ही इस्तेमाल किया गया। संदेश साफ था- तूफान आ रहा है, शिविरों में शरण लें।
अमेरिका ने भी की सराहना
अमेरिकी मीडिया भी मान रहा है कि भारत ने एक बहुत बड़ी आपदा का सामना पूरी सफलता से किया। इसके लिए सही रणनीति अपनाई गई, उपयुक्त और आधुनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया गया। यही वजह है कि करीब 10 लाख लोगों को सुरक्षित रखा जा सका।
ओडिशा और केंद्र सरकार ने मिलकर काफी पहले से इसकी तैयारी की थी। 1999 के बाद से ही ओडिशा में हजारों शेल्टर होम बनाए गए थे। मौसम विभाग के चार सेंटर तूफान की हर हरकत पर न सिर्फ पैनी नजर रख रहे थे बल्कि उसके हिसाब से अपनी योजना भी तैयार कर रहे थे।
इनका रहा अहम रोल
आपदा प्रबंधन में देश के कुछ खास तकनीकी संस्थानों की मदद ली गई। इनमें आईआईटी खड़गपुर का नाम अहम है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने समझ लिया था कि बंगाल की खाड़ी के गरम पानी से तूफान का असर ज्यादा होगा। लिहाजा, तैयारियों का स्तर बेहतर रखा गया। ओडिशा गरीब राज्य है। इसलिए संसाधनों का इस्तेमाल समझदारी से किया गया।
12 की गई जान, राहत कार्य जारी
चक्रवाती तूफान 'फानी' से ओडिशा में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है। गर्मी के मौसम में दस्तक देने के एक दिन बाद शनिवार को राज्य के लगभग 10,000 गांवों और शहरी क्षेत्रों में युद्धस्तर पर राहत एवं बहाली कार्य शुरू किये गये। इस चक्रवात को दुर्लभतम माना जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे इस भीषण चक्रवाती तूफान की वजह से शुक्रवार को पुरी में तेज बारिश और आंधी आयी। फिलहाल राहत कार्य जारी है।
भारत के बाद बांग्लादेश में तबाही
चक्रवात 'फानी' के शनिवार को बांग्लादेश में दस्तक देने के बाद कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और 63 अन्य घायल हो गए। बांग्लादेश के अधिकारियों ने कहा है कि 16 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है क्योंकि देश के तटवर्ती इलाकों में तटबंधों के टूटने के चलते करीब 36 गांवों में पानी भर गया है।
ये मौतें नोआखली और लक्ष्मीपुर सहित आठ जिलों से दर्ज की गई हैं, जो चक्रवात से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। मृतकों में दो साल का एक बच्चा और चार महिलाएं भी शामिल हैं।
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