सपा को अपनी राजनीतिक स्थिति सुधारने के लिए 'टॉनिक' की जरूरत: दिनेश शर्मा

समाजवादी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने सोमवार को कहा कि अखिलेश यादव द्वारा अपने दल की राजनीतिक हालत सुधारने के लिए किये गये प्रयास नाकाम हो रहे हैं और उनकी पार्टी को टॉनिक की जरूरत है। शर्मा ने सपा-बसपा गठबंधन को अस्वाभाविक गठबंधन बताया जो 2017 के गठबंधन (सपा-कांग्रेस गठबंधन) की तरह हार का स्वाद चखेगी।
शर्मा ने एक समाचार एजेंसी को दिये साक्षात्कार में यहां कहा कि जब कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर होता है तो उसे (स्वास्थ्य) टॉनिक की जरूरत होती है। इसी तरह से, जब कोई राजनीतिक दल राजनीतिक रूप से कमजोर होता है तो उसे राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए 'टॉनिक' की जरूरत होती है। अगर आज किसी को इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है तो वह समाजवादी पार्टी है।
सपा पर अपना हमला तेज करते हुए उप-मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि 2017 में उप्र विधानसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था जो राजनीतिक दृष्टि से खुद एक कमजोर दल था। उन्हें उप्र चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। अब, उन्होंने बसपा के साथ गठबंधन किया है जो 2014 लोकसभा चुनावों में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।
मुझे लगता है कि अखिलेश जी द्वारा (अपनी पार्टी के) राजनीतिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए किये गये प्रयास नाकाम हो रहे हैं। शर्मा ने कहा कि पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए सपा प्रमुख को भाजपा द्वारा किये गये विकास संबंधी कार्यों से सीखना चाहिए और चुनाव विकास कार्यों के आधार पर लड़े जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि जाति और धर्म पर आधारित विभाजनकारी राजनीति के दिन लद चुके हैं और इस पर राजनीति करने के बजाय, यह समय सबका साथ, सबका विकास' में फिर से भरोसा जताने का है। शर्मा ने जिन्ना संबंधी टिप्पणियों को लेकर कांग्रेसी नेता शत्रुघ्न सिन्हा पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन के दौरान वायनाड में मुस्लिम लीग के झंडे लहराए गए तो आपत्तियां जताई गईं।
अब, जिस तरह से शत्रुघ्न सिन्हा ने जिन्ना की प्रशंसा की, इससे साफ होता है कि यह कांग्रेस 'जिन्ना की कांग्रेस है महात्मा गांधी की कांग्रेस नहीं। भाजपा नेता ने आरेाप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पढना चाहिए। यह नई कांग्रेस महात्मा गांधी के सपनों का मजाक बना रही है। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता कुछ भी कर सकती है लेकिन उन्हें कम से कम खुद को देश के दुश्मनों से नहीं जोड़ना चाहिए।
सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के संदर्भ में शर्मा ने कहा कि राज्य में शुरुआत तीन चरणों के चुनावों के बाद सपा, बसपा और कांग्रेस में निराशा बढ़ती जा रही है। 2017 उप्र विधानसभा चुनावों में दो लड़कों का गठबंधन हुआ था और अब एक लड़के की जगह बुआ ने ले ली है। इस नये गठबंधन को दूसरे लड़के (राहुल गांधी का संदर्भ) से बाहर से समर्थन मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि यह अस्वाभाविक गठबंधन है जो 2017 वाले गठबंधन की तरह हार का स्वाद चखेगा। शर्मा ने कहा कि 2024 तक प्रधानमंत्री पद के लिए कोई पद खाली नहीं है। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि जो 10 सीटों, 37 या 38 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं वे प्रधानमंत्री पद का सपना देख रहे हैं।
उनसे मैं कहना चाहता हूं कि 2024 तक प्रधानमंत्री पद खाली नहीं है। पद खाली नहीं होने के इस युग में विपक्ष को केवल हताशा और निराशा मिलेगी। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू और मायावती जैसे नेता जो प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नजरें टिकाए हुए हैं, वे चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। शर्मा ने कहा कि जिस तरह से विपक्ष ईवीएम खराबी को लेकर हायतौबा मचा रहा है, उससे साफ है कि उन्हें (विपक्ष) हार के संकेत मिल गये हैं।
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