अलीगढ़ हत्याकांड की पूरी कहानी - इंसानियत भी शर्मसार

अलीगढ़ हत्याकांड की पूरी कहानी - इंसानियत भी शर्मसार
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हत्यारों ने मासूम की आंखें निकाल ली और उसके शरीर में तेजाब डालकर तीन दिन तक बोरे में भरकर घर में रखा। इतना ही नहीं, बाद में मासूम के शव को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया, ताकि कुत्ते उसके शरीर को नोचकर खा जाएं। क्या कोई महज कुछ पैसों के लिए ऐसे घिनौना काम भी कर सकता है। जिसे सोचने मात्र से ही मन में घृणा का भाव पैदा होता हो, वो सब उस मासूम ने झेला। कूड़े के ढेर में पड़े उसके शव का एक हाथ कुत्तों ने नोंच डाला।

Aligarh Twinkle Sharma Case : सद्भाव, प्रेम और भाईचारे की संस्कृति वाला भारत कहां हैं। वो देश कहां हैं जहां बच्चों में भगवान का रूप देखा जाता था, क्या यह वही भारत है जहां कन्या को देवी माना जाता था। अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में हुई मासूम की हत्या को देखकर तो नहीं लगता कि हम उसी भारत में रह हैं जहां पत्थर को भी भगवान मानकर पूजा जाता था। अलीगढ़ में बच्च्ाी के साथ जो सब हुआ उससे तो इंसानियत भी शर्मसार हो रही है।

यहां के टप्पल टाउन में महज दो साल की बच्ची की बेरहमी से हत्या केवल इसलिए कर दी गई कि उसके परिवार वाले 10 हज़ार रुपये नहीं लौटा पाए थे। पैसे के लेन-देन को लेकर बच्ची के चाचा-दादा से आरोपितों की बहस भी हुई और 30 मई को बच्ची को अगवा किया गया। इस मासूम बच्ची के साथ जो हैवानियत हुई, वो आज के समाज को आईना दिखाने वाली है। उसको बिस्किट देने के लालच में बुलाया गया था और उसकी हत्या कर दी गई।

हत्यारों ने मासूम की आंखें निकाल ली और उसके शरीर में तेजाब डालकर तीन दिन तक बोरे में भरकर घर में रखा। इतना ही नहीं, बाद में मासूम के शव को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया, ताकि कुत्ते उसके शरीर को नोचकर खा जाएं। क्या कोई महज कुछ पैसों के लिए ऐसे घिनौना काम भी कर सकता है। जिसे सोचने मात्र से ही मन में घृणा का भाव पैदा होता हो, वो सब उस मासूम ने झेला। कूड़े के ढेर में पड़े उसके शव का एक हाथ कुत्तों ने नोंच डाला।

हालांकि यह एक जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन इसके लिए पुलिस अथवा सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह हमारे नैतिक मूल्यों के हनन का मामला है, यह हमारी संस्कृति में आई गिरावट का परिणाम है। इसके लिए आप, हम और पूरा समाज जिम्मेदार है। दिल दहला देने वाली इस घटना को लेकर हिंदुस्तान उबल रहा है और सोशल मीडिया पर भी लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं।

पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। पुलिस अन्य हत्यारों को भी जल्द गिरफ्तार करने का दावा कर रही है। पुलिस तो अपना काम कर रही है, लेकिन समाज को भी इस पर गंभीरता से सोचना होगा। क्या महज पुलिस के सतर्क होने से ऐसे अपराध कम होंगे, जी नहीं। इसके लिए पूरे समाज को मनन करना होगा। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि घिनौने हत्याकांड में एक तरह की बदले की भावना होती है।

इसके लिए समाज में बढ़ रही दूरियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। प्रतियोगिता भरे जीवन में लोग अपने लक्ष्य की ओर आंखे बंद करके दौड़ रहे हैं। इस दौड़ में वे ये नहीं समझ पाते कि उनका दूसरों के प्रति व्यवहार कितना बदल गया है। हम जाने-अनजाने एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं।

इससे जो इंसान प्रभावित होता है वह डिप्रेशन या स्ट्रेस में चला जाता है और उसके दिल में प्रतिशोध की भावना जागृत होने लगती है। इसके लिए संयुक्त परिवार प्रथा खत्म होना, इंटरनेट, टीवी और मारधाड़ से भरपूर सिनेमा भी काफी हद तक जिम्मेदार है।

संस्कार, नैतिकता व शिष्टाचार विलुप्त होने लग गए हैं। पुराने समय में हम देखें तो नैतिक मूल्यों या शिष्टाचार की शिक्षा के लिए कोई विशेष विषय का प्रबंध नहीं था। यह सब तो बच्चा पारिवारिक माहौल में ही सीखता था। पहले संयुक्त परिवार की प्रथा थी, जिसमें सभी साथ रहते थे।

बड़ों का लिहाज व सम्मान करना वहीं सीखते थे, लेकिन आज हर कोई छोटे परिवार में रहना चाह रहा है, अंधी दौड़ में भाग रहा है। जिससे हम अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों और नैतिकता से दूर हुए हैं। जिसका परिणाम अलीगढ़ में सामने आया है।

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