किसानों के आगे झुकी मोदी सरकार, मानी ये पांच मांगे

भारतीय किसान संगठन (Indian Farmers Organization) के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दिल्ली पैदल मार्च कर आए हजारों किसानों ने अपने आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया है।
किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में जाकर कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की और उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बताया। भारतीय किसान संगठन की 15 में से 5 मांगों को मोदी सरकार ने मान लिया।
भारतीय किसान संगठन की प्रमुख मांगें
* भारतीय किसान संगठन की मांग है कि सभी किसानों का कर्जा पूरी तरह माफ हो।
* सिंचाई के लिए बिजली फ्री दी जाए
* किसान-मजदूरों को 60 साल के बाद 5 हजार रुपये महीना पेंशन दी जाए।
* शिक्षा और स्वास्थ्य फ्री दिया जाए।
* प. यूपी में एम्स और हाईकोर्ट बनाया जाए।
* फसलों के दाम किसान प्रतिनिधियों की उपस्थिति में तय किए जाएं।
* परिवार को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ दिया जाए।
* आवारा गोवंश पर प्रति गोवंश गोपालक को 300 रुपये हर रोज मिलें।
* खेती का कार्य कर रहे किसान की अगर दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसे शहीद का दर्जा दिया जाए।
* जल्द ही किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान ब्याज सहित दिया जाए।
* भारत में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो।
* समस्त दूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त कराया जाए।
बात दें कि भारतीय किसान संगठन के अध्यक्ष पूरन सिंह ने जानकारी दी कि हमारे 11 प्रतिनिधियों को कृषि मंत्रालय ले जाया गया है। वहां पर हमारे 11 प्रतिनिधियों अपनी मांग रखी। हमरी मांगों में से सराकर ने पांच मांगों को मान लिया है। अभी तक यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि सरकार ने किसानों की मांगों में से कौन सी पांच मांगे मानी है।
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