Uttarkashi Tunnel Collapse: 8 दिन से 41 जिंदगियां फंसी, रेस्क्यू टीम 5 योजनाओं पर कर रही काम

Uttarkashi Tunnel Collapse: 8 दिन से 41 जिंदगियां फंसी, रेस्क्यू टीम 5 योजनाओं पर कर रही काम
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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी की सुरंगों में पिछले 8 दिनों से मजदूर फंसे हुए हैं। उन्हें बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अब पीएमओ के अधिकारी 5 योजनाएं पर काम कर रहे हैं। पढ़ें रिपोर्ट...

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालना अभी तक संभव नहीं हो सका है। बचाव दल फंसे हुए 41 मजदूरों को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। लेकिन अभी कोई उम्मीद नहीं जागी है। जैसे-जैसे दिन आगें बढ़ रहे हैं, फंसे हुए मजदूरों की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। ये मजदूर 12 नवंबर से सुरंग में फंसे हुए हैं। अब बचाव अभियान की सीधी कमान पीएमओ ने अपने हाथ में ले ली है।

बचाव कार्य का काम सौंपा गया

बचाव कार्यों के लिए एनएचआईडीसीएल, ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, टीएचडीसी और आरवीएनएल को एक-एक विकल्प सौंपा गया है। वहीं मदद के लिए लोनिवि को भी साथ रखा गया है। इस बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी रविवार को सिल्क्यारा पहुंचेंगे और बचाव कार्यों की समीक्षा करेंगे। सिल्कियारा में सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए पाइप सुरंग बनाने की कोशिश सफल नहीं होने के बाद यह फैसला लिया गया है।

ड्रिलिंग मशीन से ऑपरेशन विफल होने के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाली। पीएम के पूर्व सलाहकार और राज्य पर्यटन के विशेष अधिकारी भास्कर खुल्बे, उप सचिव आईएएस मंगेश घिल्डियाल ने एनएचआईडीसीएल के स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ घटना स्थल और सिल्क्यारा सुरंग के ऊपर की पहाड़ी का निरीक्षण किया। करीब तीन घंटे तक पूरी घटना के भूगोल और बचाव की बेहतर रणनीति पर चर्चा के बाद पांच विकल्पों पर एक साथ काम शुरू करने का फैसला लिया गया। सिल्कयारा सुरंग में मजदूरों को फंसे हुए 8 दिन हो चुके हैं।

इसमें चार से पांच दिन और लगेंगे

पीएम के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे का कहना है कि चार से पांच दिन में अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है। अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो अभियान इससे पहले भी पूरा किया जा सकता है। इस अभियान में देश और दुनिया की अच्छी तकनीक और उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर उपकरण लाए जाते हैं। इसका समय कम से कम रखने की उम्मीद की जा रही है।

इन 5 विकल्पों पर किया जा सकता है काम

सुरंग के ऊपर सुरक्षित जगह पर ड्रिलिंग कर एक छेद बनाया जाएगा, जिसके जरिए फंसे हुए मजदूरों को बचाया जा सकेगा। सुरंग के बाहर चट्टान की दीवार में एक निश्चित बिंदु पर छेद करके एक एडिट सुरंग बनाई जाएगी। पहली एडिट टनल के पास ही दूसरी एडिट टनल का निर्माण किया जाएगा। बड़कोट की ओर से आने वाली सुरंग का काम सुरक्षा के साथ तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। इसके माध्यम से सिल्क्यारा द्वारा तैयार की गई सुरंग को इससे जोड़ा जा सकेगा। सिल्कियारा की दिशा में भी सावधानी पूर्वक काम जारी रहेगा। अब तक 900 एमएम पाइप 22 मीटर तक खोदा जा चुका है।

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