Vishwakarma Jayanti: ITI कौशल दीक्षांत समारोह में पीएम मोदी ने दिया मूल मंत्र, 40 लाख से ज्यादा छात्रों ने लिया हिस्सा

आईटीआई (ITI) के कौशल दीक्षांत समारोह (skill convocation ceremony) को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को विश्वकर्मा जंयती (Vishwakarma Jayanti) के मौके पर लाखों छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने छात्र और छात्राओं को स्किल से जुड़े कुछ मूल मंत्र भी दिए।
पीएम नरेंद्र मोदी ने ITI के कौशल दीक्षांत समारोह के दौरान 40 लाख से ज्यादा छाक्ष छात्राओं ने हिस्सा लिया। इसमें सबसे ज्यादा संख्या वर्चुअल जुड़ने वाले छात्रों की है। अपने जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि मैं आप सब को कौशल दीक्षांत समारोह की बहुत शुभकामना देता हूं। हमारे देश में पहली आईटीआई 1950 में बनी थी। अगले 7 दशकों में 10 हजार आईटीआई का गठन किया गया। हमारी सरकार के 8 साल में देश में करीब 5 हजार नए आईटीआई बनाए गए हैं।
पीएम मोदी ने विश्वकर्मा जयंती पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जीवन कौशल का पर्व है। जैसे मूर्तिकार मूर्ति बनाता है। लेकिन जब तक उसका जीवन स्थापित नहीं हो जाता। उस मूर्ति को भगवान का रूप नहीं कहा जाता है। पहला आईटीआई 1950 में बनाया गया था और 7 दशकों में लगभग 10 हजार आईटीआई संस्थान बनाए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से आईटीआई के कौशल दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक नया इतिहास रचा गया है। पहली बार 9 लाख से अधिक आईटीआई छात्रों को कौशल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। वर्चुअल माध्यम से 40 लाख से अधिक छात्र भी हमसे जुड़े हैं। पिछले 8 सालों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं शुरू की हैं। श्रम ईवा जयते की परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।
मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती यह जीवन कौशल का पर्व है। जैसे मूर्तिकार मूर्ति बनाता है, लेकिन जब तक उसका जीवन स्थापित नहीं हो जाता, उस मूर्ति को भगवान का रूप नहीं कहा जाता है। पीएम मोदी ने साफ कहा कि जब युवा कौशल से सशक्त होकर बाहर आते हैं, तो उनके मन में भी एक विचार आता है कि उन्हें अपना काम कैसे शुरू करना चाहिए। स्वरोजगार की इस भावना का समर्थन करने के लिए आज आपके पास मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं की शक्ति भी है, जो बिना गारंटी लोन देती हैं। अब वक्त बदल चुका है।
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