Look Out Notice: क्या है लुक आउट नोटिस , जानें यह क्यों होता है जारी

लुक आउट सर्कुलर एक लेटर होता है,जिसका प्रयोग आव्रजन अधिकारी (immigration officer) द्वारा किसी आरोपी को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए किया जाता है। इसे LOC यानी लुक आउट नोटिस के नाम से भी जाना जाता है। कुछ समय पहले सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति और विडियोकॅान समूह के एमडी वेँणुगोपाल धुत के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था। इसके बाद ये लुक आउट नोटिस उमेश पाल हत्याकांड में शामिल आरोपियों के खिलाफ जारी किया गया, ताकि ये लोग देश छोड़कर भाग न सकें। इसके अतिरिक्त इस लेटर का प्रयोग भागे हुए अपराधियो को पकड़ने के लिए भी किया जाता है।
कई बार ऐसा देखने व सुनने को मिलता है कि अपराधियों को इंटरनेशनल बॉर्डर व एयरपोर्ट पर पकड़ लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस देश के अधिकारियों के पास अपराधियों के खिलाफ लुक आउट नोटिस पहले से होता है। इस नोटिस का प्रयोग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं जैसे-अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डो या समुद्री क्षेत्र, बंदरगाहों पर जांच में किया जा सकता है। लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के कहने पर आव्रजन अधिकारी अपराधी को अरेस्ट भी कर सकते हैं।
गृह मंत्रालय भारतीय नागरिकों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर लेटर जारी करने के निम्न 5 दिशा-निर्देश जारी करता है
1. किसी भारतीय व्यक्ति के खिलाफ समस्त आव्रजन चेकपोस्टों के लिए लुक आउट नोटिस गृह मंत्रालय द्वारा तैयार प्रारूप के द्वारा ही जारी किया जा सकता है।
2. भारत में लुक आउट नोटिस को जारी करने का अधिकार भारत सरकार में उप सचिव, प्रदेश स्तर पर जॉइंट सेक्रेटरी और जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक से नीचे के अधिकारियों के पास नहीं होता है।
3. लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के लिए आवश्यक है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया जा रहा है उसकी पूरी पहचान एक तय फॉर्मेट में देना आवश्यक है। साथ ही उस व्यक्ति के नाम को छोड़कर कम से कम 3 और पहचान चिन्ह भी बताने होते हैं।
4. लुक आउट नोटिस जारी होने की तारीख से एक वर्ष तक वैलिड रहता है। हालांकि,अगर नोटिस जारी करने वाली एजेंसी इस नोटिस का पीरियड बढ़ाना चाहती है तो वह एक वर्ष की अवधि समाप्त होने से पूर्व ऐसा कर सकती है।
5. 2011 से यह नियम बन दिया गया है कि यदि एक वर्ष की निर्धारित अवधि के भीतर लुक आउट नोटिस की समय सीमा को नही बढाया गया है, तो संबंधित आव्रजन अधिकारी लुक आउट नोटिस को निलंबित कर सकता है।
नोट-जिन मामलों में लुक आउट नोटिस कोर्ट और इंटरपोल द्वारा जारी किया जाता है उन मामलों में लुक आउट नोटिस एक साल के भीतर स्सपेंड नहीं किया जा सकता है।
लुक आउट नोटिस का प्रभाव
ऐसा नहीं है कि लुक आउट नोटिस अपराधियों में खौफ पैदा कर ही देता है। कई मामलों में ऐसा देखा जा चूका है कि कई अपराधियों के खिलाफ भारत में लुक आउट नोटिस जारी कर दिया जाता हैं फिर भी वे लोग विदेशों में आराम से रह रहे होते हैं और अन्य देशों की यात्रा भी करते हैं। अब तक कितने लोगों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किए गये हैं इस विषय में कोई पुख्ता जानकारी प्राप्त नहीं हैं।
लुक आउट नोटिस का दुरुपयोग
कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि लुक आउट नोटिस का दुरूपयोग किया जाता है। जिस व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया होता है उसे भी तब पता चलता है जब उसे हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों द्वारा रोका या अरेस्ट किया जाता है। हालांकि सूचना क्रांति के इस युग में इस तरह की बात सही नहीं है। कभी-कभी बिना नियम-कानून के भी लुक आउट नोटिस जारी कर दिया जाता है। ये मामले संदिग्ध, आतंकवादी, राष्ट्र विरोधी तत्वों से जुड़े होते हैं। ऐसे मामलों से पीड़ित व्यक्ति को मानवाधिकार आयोग या उच्च न्यायालयों के पास जाने का अधिकार होता है और नुकसान और मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे की मांग भी कर सकता है।
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