Haribhoomi-Inh Exclusive: इंजीनियरिंग से तौबा क्यों? प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने चार महमानों से की विस्तार से चर्चा

Haribhoomi-Inh Exclusive: इंजीनियरिंग से तौबा क्यों? प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने चार महमानों से की विस्तार से चर्चा
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प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे, वीसी सिम्बोइसिस विवि इंदौर संजय कुमार, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री दीपक जोशी और आईआईटी मद्रास (रि.) प्रो. एलएस गणेश से विस्तार से चर्चा की।

Haribhoomi-Inh Exclusive: देश में आज नौजवान हाथ में डिग्री लेकर नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा है। देश में इंजीनियरिंग किये हुए युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही है। युवा इतना परेशना है कि चपरासी की नौकरी के लिए भी आवेदन करने लगा है। यहां तक की छात्र बीच में ही शिक्षा को छोड़ रहे हैं।

प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने बताया कि इंजीनियरिंग से तौबा क्यों? इस विषय पर रोशनी डालने के लिए प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे, वीसी सिम्बोइसिस विवि इंदौर संजय कुमार, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री दीपक जोशी और आईआईटी मद्रास (रि.) प्रो. एलएस गणेश से विस्तार से चर्चा की।

प्रधान संपादक डॉ हिमांशु द्विवेदी ने शिक्षा के मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत में कहा कि 70-80 के दशक में भारत में साक्षरता बहुत कम थी। मुट्ठी भर युवा ही तकनीकी अध्ययन और डिग्री ले पाते थे। जबकि आज देश में तकनीकी और उच्च शिक्षा सबसे बुरे दौर में है।

इंजीनियरिंग संस्थान से पढ़ाई करने के बाद आधे से अधिक छात्रों को नौकरी नहीं मिल पा रही है। यहां तक कि आईआईटी, एनआईटी और ट्रिपल आईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के भी 23 फीसदी छात्रों का प्लेसमैंट नहीं हो रहा। देश इस समय तकनीकी और उच्च शिक्षा के लिए सबसे बुरा समय झेल रहा है। इंजीनियरिंग से तौबा क्यों?

इंजीनियरिंग से तौबा क्यों? यहां देखें पूरा चर्चा


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