हवा की शुद्धता का स्तर ऐसा ही रहा तो बचाई जा सकती है 6 लाख से ज्यादा लोगों की जान, लॉकडाउन से 92 शहरों की स्थिति सुधरी

हवा की शुद्धता का स्तर ऐसा ही रहा तो बचाई जा सकती है 6 लाख से ज्यादा लोगों की जान,  लॉकडाउन से 92 शहरों की स्थिति सुधरी
X
पर्यावरण की शुद्धता के कारण साफ आकाश दिखाई दिया और कई जगह तो जंगली जानवर तक घूमते दिखाई दिए। इसके अलावा आकाश में पक्षी में को साफ तौर पर देखा गया। इस दौरान कई लुप्त प्राय हो चुके फूल भी खिले हैं।

World Environment Day 2020 (विश्व पर्यावरण दिवस 2020): वातावरण (पर्यावरण) ब्रह्मांड को चलाने में पर्यावरण का खास महत्व है। क्योंकि हम खाने के तौर पर जो कुछ भी खाते हैं, हम जो पानी पीते हैं, जिस हवा में हम सभी लोग सांस लेते हैं और जो वातावरण हमारी धरती को जीने के अनुकूल बनाती है यह सब हमें प्रकृति से मिलता है। कोरोना वायरस के संकट के चलते देश में लागू लॉकडाउन ने चाहे कितनी भी मुश्किलें पैदा की हों लेकिन पर्यावरण के नजरिए से देखा जाए तो लॉकडाउन ने बहुत कीमती सबक भी दिए हैं। देश में लागू लॉकडाउन की वजह से कई शहरों की आबोहवा बेहद हेल्दी हुई है। लोगों ने हाफ सेंचुरी के बाद बेहतर पर्यावरण के महत्व को सीधे तौर पर महसूस किया है। आइए जानते हैं कि लॉकडाउन में आबो-हवा कितनी बदली है।

92 शहरों में हवा का स्तर काफी अच्छा रहा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पर्यावरण की शुद्धता के कारण साफ आकाश दिखाई दिया और कई जगह तो जंगली जानवर तक घूमते दिखाई दिए। इसके अलावा आकाश में पक्षी में को साफ तौर पर देखा गया। इस दौरान कई लुप्त प्राय हो चुके फूल भी खिले हैं। रिपोर्ट की मानें तो देश में लॉकडाउन के दौरान 115 में से करीब 92 शहरों में हवा का स्तर काफी अच्छा रहा है। जबकि लॉकडाउन से पहले सिर्फ 50 शहरों की हवा ही इस क्वालिटी की थी। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने 16 मार्च से 15 अप्रैल 2020 तक के आंकड़ों के आधार पर यह बात कही है।

दिल्ली की हवा की शुद्धता सबसे बेहतर पाई

IIT दिल्ली, चीन की फुदान और शिनजेंग विश्वविद्यालय की रिसर्च के अनुसार लॉकडाउन के पहले महीने में 22 उत्तर भारतीय शहरों की एयर क्वालिटी में बहुत सुधार हुआ है। जबकि कई जगहों पर एयर क्वालिटी में 44 प्रतिशत तक का सुधार देखने का मिला है। देश की राजधानी दिल्ली में भी हवा का स्तर बहुत सुधरा है। यानी दिल्ली की हवा की शुद्धता सबसे बेहतर पाई है।

6 लाख से ज्यादा लोगों की बचाई जा सकती है जान

खबरों के अनुसार, यदि हवा की शुद्धता का स्तर ऐसा ही बना रहा तो देश में लगभग 6 लाख 50 हजार लोगों की जान बचाई जा सकती है। देश में इतने लोग हर साल प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। सड़कों पर वाहनों के थमने, इंडस्ट्री और व्यावसायिक गतिविधियों के बंद होने से हवा में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) का स्तर कम हुआ है और हवा में घातक SO2 और NO2 गैसों का स्तर तेजी से घटा है। वहीं नदियों के पानी की शुद्धता अपने सबसे बेहतरीन स्तर पर पहुंच गई है। क्योंकि इंडस्ट्रीज से निकलने वाला वेस्ट पानी में नदियों में नहीं घुला है।

Tags

Next Story