Israel-Hamas War: इजराइल-हमास के बीच युद्ध में पाकिस्तान ने अलापा कश्मीर का मुद्दा, भारत पर लगाए ये आरोप

Pakistan Raised Kashmir Issue: फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास और इजराइल के बीच युद्ध (Israel Hamas War) को आज 16वां दिन है। भारत (India) ने आज जहां फिलिस्तीन (Palestine) के घायल नागरिकों और आम लोगों की मदद के लिए दवाएं और खाद्ध सामग्री समेत कई आवश्यक चीजें भेजी हैं, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान (Pakistan) इस मुश्किल घड़ी में भी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करना चाहता है। यही कारण है कि उसने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा (Jammu Kashmir Issue) उठा दिया है और कहा है कि इजराइल जिस तरह फिलिस्तीन के लोगों पर अत्याचार कर रही है, उसी तरह कश्मीरियों को भारत की ज्यादतियों का शिकार होना पड़ रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र के दूत मुनीर अकरम ने कहा कि अगर कहीं युद्ध या विवाद होता है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है कि बातचीत के माध्यम से विवाद को शांत किया जाए या फिर निपटारा किया जाए। गाजा में जिस तरह से इजराइल हमले कर रहा है, उससे पता चलता है कि सुरक्षा परिषद अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रहा है। ऐसे में महासभा से आग्रह है कि गाजा पर इजराइल के हमलों को रोका जाए और घायल नागरिकों को मदद पहुंचाने के लिए अनुमति सुनिश्चित करें।
पाकिस्तान ने कश्मीर का राग अलापा
उन्होंने आगे जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीरी लोग भी उसी वेदना से गुजर रहे हैं, जिससे फिलिस्तीनी नागरिक गुजर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की 9 लाख सैनिकों की विशाल कब्जे वाली सेना कश्मीरियों की स्वतंत्रता की आजाद की मांग को बेरहमी से दबा रही थी। आज भी कश्मीरी आजाद होना चाहते हैं, लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जाती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए और अधिक लोकतांत्रिक बनाया जाना चाहिए। ऐसा हुए बिना मुमकिन नहीं है कि किसी युद्ध या अंतरराष्ट्रीय विवाद का निपटारा हो सके। उन्होंने तर्क दिया कि पांच सदस्यों की वीटो शक्ति के कारण ही सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारियां सही दिशा में नहीं चल पाती हैं, चाहे इसका प्रयोग प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष। राजदूत अकरम ने परिषद को बताया कि यूएफसी ने लगातार प्रस्ताव दिया है कि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुरक्षा परिषद सुधार के मुद्दे पर समझौते के लिए आधार प्रदान कर सकता है। इस पर कार्य होना बेहद जरूरी है।
रूस ने पेश किया था प्रस्ताव
यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहे रूस ने इजराइल-हमास युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया था। इसमें युद्ध पर चिंता जताते हुए हिंसा की आलोचना की गई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश होते हैं। चीन और रूस के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस स्थाई देशों में शामिल हैं, जबकि 10 देश इसके अस्थायी सदस्य हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने रूस के इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। ऐसे में यह प्रस्ताव गिर गया। बता दें कि अगर कोई भी प्रस्ताव लाया जाए और स्थायी सदस्यों में शामिल एक भी सदस्य वीटो लगा दे तो प्रस्ताव गिर जाता है। यही कारण है कि पाकिस्तान को लग रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए, ताकि जनमत हासिल कर कश्मीर का मुद्दा उठाकर पूरी दुनिया को फिर से गुमराह कर सके। वहीं, दूसरी तरफ भारत का प्रयास है कि चाहे देश कोई भी हो, लेकिन निर्दोष नागरिकों की मदद की जाए। इसी कड़ी में भारत ने फिलिस्तीन के नागरिकों के लिए भी मदद भेजी है। भारत की इस छवि के चलते ही पूरी दुनिया उसे मसीहा के रूप में मानने लगा है। ऐसे में भारत पर झूठे आरोप लगाकर पाकिस्तान की असलियत खुद ही सामने आ रही है।
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