चीन का सामान नहीं होता है सस्ता, 80 फीसदी वस्तुओं के रेट होते हैं समान

देश के खुदरा व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का मानना है कि यह भ्रम है कि चीन का सामान सस्ता होता है। चीनी माल के बहिष्कार-अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहे खंडेलवाल ने कहा, तैयार माल को देखें तो 80 प्रतिशत उत्पाद ऐसे हैं, जिनमें भारत और चीन के सामान का दाम लगभग समान है। भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। चीन के उत्पाद 'यूज एंड थ्रो' वाले होते है। हमारे उत्पादों के साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा भारतीय सामान के साथ गारंटी भी होती है।"
हम पीपीई किट, मास्क में कई देशों को पीछे छोड़ चुके
खंडेलवाल ने कहा कि पहले हम पीपीई किट, मास्क और वेंटिलेटर नहीं बनाते थे। कोविड-19 ने अवसर दिया और आज हम इनके विनिर्माण में दुनिया के कई देशों को पीछे छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम 50 एकड़ जमीन चिह्नित करे। वहां हम अपनी विनिर्माण इकाइयां लगा सकते हैं।
सरकार सस्ता कर्ज उपलब्ध कराए
इसके अलावा सरकार को उद्योग को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए। भारत में श्रम सस्ता है, जमीन उपलब्ध है, उपभोग के लिए बड़ी आबादी है। अगर सब मिलकर चलें, तो कोई वजह नहीं कि हम अगले चार-पांच साल में चीन से आयात पूरी तरह समाप्त करने में सफल हो सकते हैं।
व्यापारियों ने आयात चीन से काफी कम किया
खंडेलवाल ने कहा कि चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान कई साल से चल रहा है। यहीं वजह है कि अब होली, दिवाली जैसे भारतीय त्योहारों पर व्यापारियों ने चीन से आयात काफी कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन मुख्य रूप से तैयार माल, कच्चे माल, कलपुर्जों तथा प्रौद्योगिकी उत्पादों का निर्यात भारत को करता है।
हम अन्य देशों से आयात बढ़ा सकते हैं
यदि हम सिर्फ तैयार माल मसलन फुटवियर, चमड़े का बैग या फिर किचन आदि का सामान ही चीन से मंगाना बंद कर दें, तो चीन पर हमारी निर्भरता 20 प्रतिशत घट जाएगी। उन्होंने कहा कि ताइवान, वियतनाम, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी और यहां तक कि आस्ट्रेलिया से भी हम आयात बढ़ाकर चीन को जवाब दे सकते हैं।
चीन के पास कोई रॉकेट साइंस नहीं
खंडेलवाल कहते हैं कि चीन के पास कोई रॉकेट साइंस नहीं है। चीन ने सिर्फ सस्ते के नाम पर भारतीय बाजार में कब्जा किया है। उपभोक्ताओं के व्यवहार से उसने जाना कि सस्ते उत्पादों के जरिए वह भारतीय बाजार पर कब्जा कर सकता है। लेकिन अब समय बदल रहा है। लोग भी चीन का सामान नहीं खरीदना चाहते।
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