COP28 UAE: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत गंभीर, कई बड़े देश 'दोषारोपण' करने में मशगूल

COP28 UAE: इजरायल-फिलिस्तीन और यूक्रेन-रशिया के बीच चल रही जंग के अलावा कई देशों में अघोषित युद्ध चल रहा है। ये युद्ध न केवल मानवीय जीवन को बल्कि प्रकृति को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं। हालांकि कई देश ऐसे हैं, जो पृथ्वी को बचाने के लिए हर छोटी से बड़ी मुहिम में शामिल होते हैं। इन्ही देशों में भारत का भी नाम शामिल है। यूएई में आज से आयोजित हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूएई पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा है कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा करने वाले देश नहीं माने जाने चाहिए। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है, जिससे निपटने के लिए पूरे विश्व को एकजुट होना पड़ेगा। अब सवाल उठता है कि इस युद्धकाल में चल रहे इस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से क्या कुछ बदलाव आएगा या नहीं। तो चलिये समझने का प्रयास करते हैं कि मौजूदा हालात क्या हैं...
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से बनाई दूरी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन यूएई में आयोजित हो रहे इस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में बताया था कि राष्ट्रपति बिडेन अंगोला गणराज्य के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और व्यस्तता के चलते दुबई में होने वाली COP28 में शामिल नहीं हो पाएंगे। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि बिडेन का यह रूख फिलिस्तीन के कट्टरपंथी संगठन हमास के खिलाफ युद्ध में इजरायल को अमेरिका के समर्थन को रेखांकित करता है। दरअसल, ज्यादातर मुस्लिम देश हमास को समर्थन देकर इजरायल को युद्ध रोकने के लिए दबाव बनाते रहे, वहीं अमेरिका खुलकर इजरायल का समर्थन करता रहा। चूंकि दबाव बनाने वाले देशों में यूएई भी शामिल था, लिहाजा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति बिडेन ने वहां आयोजित हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से दूरी बना ली है।
इजरायल पीएम नेतन्याहू भी COP28 में नहीं ले रहे हिस्सा
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी इस जलवायु परिवर्तन में शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि पीएम नेतन्याहू यूएई जाने के लिए हमेशा से उत्साहित रहे हैं। इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसके पीछे की वजह ये थी कि पीएम नेतन्याहू मुस्लिम देशों से इजरायल के साथ आपसी संबंधों को बेहतर बनाना चाहते थे। विशेषकर यूएई ने कई मौकों पर पीएम नेतन्याहू को अपने यहां आने से रोक दिया। बावजूद इसके वे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन हमास के खिलाफ युद्ध होने और मुस्लिम देशों के हमास को समर्थन देने से नाराज पीएम नेतन्याहू ने COP28 सम्मेलन में हिस्सा न लेने का फैसला किया है।
क्या यूएई जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने को संवेदनशील
यूएई में आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए करीब 200 देश हिस्सा ले रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या यूएई जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए संवेदनशील है या नहीं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूएई ने इस सम्मेलन में इजरायल को निमंत्रित करने में बेहद देरी की। यूएई को लगता है कि इस वैश्विक सम्मेलन में ईरान के खिलाफ इजरायल अपना एजेंडा रख सकता है। इससे पहले भी कई बार पीएम नेतन्याहू को यूएई आने से रोका गया। चूंकि इस बार जलवायु परिवर्तन चुनौती पर मंथन होना था, लिहाजा यूएई ने इजरायल को निमंत्रण भेज दिया। लेकिन, मौजूदा हालात और यूएई की पूर्व की कूटनीति के चलते पीएम नेतन्याहू ने इस सम्मेलन से दूरी बनाना ठीक समझा है। ऐसे में पीएम मोदी ने दुनिया के तमाम देशों से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया है। चलते-चलते बता दें कि सात दिनों के सीजफायर के बाद हमास और इजरायल के बीच फिर से युद्ध शुरू हो चुका है।
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