मोदी सरकार के इस एक्शन से आधा पाकिस्तान हो जाएगा तबाह

सिंधू जल समझौते पर भारत के रूख ने पाकिस्तान की चिंताएं एक बार फिर बढ़ा दी हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसको लेकर एक ताजा बयान दिया है। शेखावत ने कहा कि सिंधु जल संधि से परे भारत के हिस्से के पानी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान बह जाता है। हम किसानों, उद्योंगो और लोगों के उपयोग के लिए अपने हिस्से के उस पानी पर प्राथमिकता से काम कर रहे हैं जो पाकिस्तान बह जाता है, उसे कैसे मोड़ दिया जाए।
Union Jal Shakti Minister Gajendra Singh Shekhawat: Beyond the Indus Water Treaty a large part of India's share of water goes to Pakistan. We're working on priority to work out how our share of water that flows to Pak, can be diverted, for use by our farmers, industries,& people. pic.twitter.com/VgUxeTRJ35
— ANI (@ANI) August 21, 2019
शेखावत ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि हम हाइड्रोलॉजिकल और टेक्नो फिजिबिलिटी स्टडीज पर काम कर रहे हैं, मैंने निर्देश दिया है कि इसे तुरंत किया जाना चाहिए, ताकि हम अपनी योजनाओं को अंजाम दे सकें।
Union Jal Shakti Minster, Gajendra Singh Shekhawat: We are working on hydrological and techno feasibility studies, I have given direction that it should be done promptly, so that we can execute our plans. https://t.co/5gjv7aFzxs
— ANI (@ANI) August 21, 2019
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया है। पुलवामा हमला और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव है। बता दें भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से निकलने वाली नदियां (सतलुज, ब्यास औऱ रावी नदी) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की लाइफ लाइन मानी जाती हैं।
दोनों देशों के बीच तनाव
इस मामले के विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान कश्मीर और कश्मीरी लोगों को नहीं चाहता है बल्कि उसकी नजर जम्मू-कश्मीर से बहने वाले पानी पर है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों को कम (Downgrade) किया है। पाकिस्तान ने भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस को बंद किया है, भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को वापस भेजा है। हालांकि पाकिस्तान में भारत के डिप्टी हाईकमिश्नर दीपक अहलूवालिया अभी वहीं मौजूद हैं।
सिंधु जल संधि खत्म हुई तो..
ऐसे में अगर मोदी सरकार सिंधु-जल संधि पर भी एक्शन लेती है तो यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और गिलगिट-बल्टिस्तान (POK) के लिए तबाही ला सकता है। इन दिनों पाकिस्तान के अनेक हिस्सों में बाढ़ जैसी हालत है। ऐसे में पाकिस्तान बार-बार भारत पर एक्स्ट्रा पानी छोड़ने का आरोप लगाता रहता है। हालांकि भारत की ओर से तथ्यों के साथ उसे करारा जवाब दिया जाता है। दोनों देशों के बीच अहम सिंधु जल संधि है। भारत से बहने वाली ये नदियां पाकिस्तान की कृषि, उद्योग और जीवन को तय करती हैं।
क्या है सिंधु जल संधि
सिंधु जल संधि पानी के वितरण के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक संधि है। इस संधि पर 19 सितंबर 1960 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत तब विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी।
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