Israel-Hamas War: हमास के समर्थन में उतरा तालिबान, बोला- मुस्लिमों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं

Israel-Hamas War: हमास के समर्थन में उतरा तालिबान, बोला- मुस्लिमों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं
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Israel-Hamas War: इजरायल और हमास के बीच जंग 21 दिनों से जारी है। इसी बीच, अब तालिबान भी हमास के समर्थन में आया है। उसने कहा कि मुस्लिमों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।

Israel-Hamas War: फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास और इजरायल के बीच युद्ध 21 दिनों से जारी है। इस दौरान अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने भी पूर्वी सीरिया में कुछ स्थानों पर हमले किए। इन हमलों से गाजा युद्ध को लेकर क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है। हमास-शासित गाजा में इजराइली हमलों में 2,900 से अधिक नाबालिगों और 1,500 से अधिक महिलाओं समेत 7,000 से ज्यादा फिलस्तीनी नागरिको की मौत हो चुकी है। इसी बीच, तालिबान की तरफ से भी अब बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों पर इजराइल का अत्याचार अब बढ़ता ही जा रहा है।

तालिबान भी हमास के पक्ष में

इजरायल और गाजा में चल रहे युद्घ को लेकर तालिबान भी अब हमास के साथ नजर आ रहा है। जहां एक तरफ तालिबान चाहता था कि दोनों पक्ष बैठक कर शांति से मुद्दे को सुलझाएं। वहीं, अब वह कहता हुआ नजर आ रहा है कि इजराइल मुस्लिमों के खिलाफ बहुत अत्याचार कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के साथ युद्ध में तालिबान अपने लड़ाकों को फिलिस्तीन भेजने की फिराक में हैं। साथ ही, गाजा में इजरायल की कार्रवाई की भी कड़ी निगरानी कर रहा है।

क्या अमेरिका को घेरने की तालिबनी साजिश

साल 2001 से शुरू हुई अमेरिकी और मित्र सेनाओं की कार्रवाई में पहले तालिबान सिर्फ पहाड़ी इलाकों तक ढकेल दिया गया लेकिन 2015 में तालिबान की धीरे-धीरे वापसी शुरू हो गई थी। अफगानिस्तान से लौटने की अपनी कोशिशों के तहत साल 2020 में अमेरिका ने तालिबान से शांति वार्ता शुरू की और दोहा में कई राउंड की बातचीत भी हुई। एक तरफ तालिबान ने बातचीत का रास्ता अपनाया तो दूसरी तरफ बड़े शहरों और सैन्य बेस पर हमले की बजाय छोटे-छोटे इलाकों पर कब्जा करने की रणनीति बनाने पर काम चालू किया।

अप्रैल 2021 में अमेरिकी सेनाओं की वापसी की राष्ट्रपति बाइडेन की घोषणा के बाद तालिबान ने मोर्चा खोल दिया और 90 हजार लड़ाकों वाले तालिबान ने 3 लाख से ज्यादा अफगान फौजों को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी, उनके प्रमुख सहयोगियों, तालिबान से लड़ रहे प्रमुख विरोधी कमांडर अब्दुल रशीद दोस्तम और कई वॉरलॉर्ड्स को तजाकिस्तान और ईरान में शरण लेनी पड़ी।

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