एलएसी पर तनाव के बीच चीन के जहाज की हिंद महासागर क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश, सतर्क नौसेना की कड़ी निगरानी के चलते लौटा बैरंग

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत से जमीनी और हवाई मोर्चे पर पटखनी खाने के बाद अब ड्रैगन ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में तनाव बढ़ाने की कोशिशें शुरू दी हैं। इसी के तहत पिछले महीने एलएसी तनाव के बीच ही उसके एक समुद्री शोध करने वाले जहाज ने मल्लका स्ट्रेट के रास्ते भारतीय हिंद महासागर के इलाके में घुसने की कोशिश की। जिसे वहां बेहद सतर्कता और मजबूती के साथ तैनात नौसेना के जंगी युद्धपोतों की वजह से बैरंग वापस लौटना पड़ा।
समुद्री संचालन से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक दुनिया के किसी भी देश को भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में शोध और अन्य गतिविधियों करने की इजाजत नहीं है। इसी को मद्देनजर रखते हुए नौसेना के युद्धपोतों ने चीनी जहाज को लौटाया।
पहले दो मोर्चों पर पिटा ड्रैगन
इससे पहले चीन की सेना और वायुसेना जमीनी, हवाई दोनों मोर्चों पर भारत की सेना और वायुसेना के हाथों करारी शिकश्त खा चुकी हैं। इसमें बीते अप्रैल महीने में चीनी हेलिकॉप्टरों द्वारा लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में एलएसी लांघने की कोशिश में भरी गई उड़ान को वहां अलर्ट भारत के जंगी हेलिकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों की तेज नियमित गश्त ने पस्त कर दिया।
वहीं अगस्त के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर के दौरान पेंगांग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर भारत की सेना द्वारा मजबूत रणनीतिक पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया गया। जिसकी वजह से चीन बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। दोनों जगहों पर चूकने के बाद अब वह समुद्री सीमा पर हलचल बढ़ाने की फिराक में है। भारत-चीन के बीच बीते करीब चार महीने से अधिक वक्त से लद्दाख में एलएसी पर तनाव बना हुआ है।
विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य, कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर करीब दर्जनभर से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन अब तक सभी बेनतीजा रही हैं, जिसकी वजह से हालात सामान्य नहीं हुए हैं। अब सबकी नजरें जल्द होने वाली कोर कमांडरों की बैठक पर टिकीं हुई हैं। चीन की आक्रामकता के जवाब में भारत ने लद्दाख के अलावा एलएसी के बाकी सेक्टरों में भी अपनी सुरक्षात्मक तैनाती में इजाफा किया है। सशस्त्र सेनाएं पूरी तैयार के साथ किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
नौसैन्य युद्धपोतों की कड़ी निगरानी
आईओआर में भारत की समुद्री सीमा में दाखिल होने की कोशिशों में लगा चीनी जहाज युआन वांग श्रेणी का एक शोध संबंधी जहाज है। इसकी गतिविधियों पर वहां पहले से तैनात नौसेना के जंगी युद्धपोत लगातार कड़ी निगरानी रख रहे थे।
जिसकी वजह से यह चाहकर भी भारत के इलाके में दाखिल नहीं हो सका और कुछ दिन पहले ही इसे खाली हाथ ही चीन वापस लौटना पड़ा है। ऐसे शोध करने वाले जहाज चीन की ओर से अक्सर आईओआर की ओर भेजे जाते हैं, जिनका मकसद भारत की सामुद्रिक सीमा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी को इकट्टा करना होता है।
जासूसी करता है चीन
पिछले साल दिसंबर महीने में ऐसा ही एक जहाज शी यान-1 अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर के पास भारतीय समुद्र में शोध गतिविधियां करता हुआ नौसेना के गश्ती विमानों द्वारा पकड़ा गया था। इसे चीनियों द्वारा भारत के द्वीपीय इलाके में जारी गतिविधियों की जासूसी करने के लिए भेजा था। दरअसल अंडमान के इसी इलाके से भारत हिंद महासागर और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में कड़ी नजर बनाए रखता है।
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