लद्धाख के बाद उत्तराखंड में टेंशन, चीन ने लिपुलेख दर्रे के पास तैनात किए 1 हजार सैनिक

लद्धाख के बाद उत्तराखंड में टेंशन, चीन ने लिपुलेख दर्रे के पास तैनात किए 1 हजार सैनिक
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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के विवादित इलाकों से सेनाओं की वापसी की प्रक्रिया के बीच अब चीन ने उत्तराखंड में एलएसी से लगे लिपुलेख दर्रे पर भी मोर्चा खोल दिया है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि यहां पर पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने करीब हजार जवानों के साथ एक बटालियन तैनात कर दी है।

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के विवादित इलाकों से सेनाओं की वापसी की प्रक्रिया के बीच अब चीन ने उत्तराखंड में एलएसी से लगे लिपुलेख दर्रे पर भी मोर्चा खोल दिया है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि यहां पर पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने करीब हजार जवानों के साथ एक बटालियन तैनात कर दी है। इसे देखते हुए भारत ने भी अपना सैन्य जमावड़ा बढ़ा दिया है। लिपुलेख के अलावा ड्रैगन ने एलएसी के उत्तरी सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश से लगे इलाकों में भी अपनी सेना की बड़ी तादाद में तैनाती की है। उधर भारत के हाईप्रोफाइल चाइना स्टडी ग्रुप ने एलएसी विवाद पर एक अहम समीक्षा बैठक कर विचार विमर्श किया है।

सर्दियों में भी तैनात रहेंगे भारतीय जवान

चीन द्वारा लद्दाख के बाहर पीएलए की तैनाती बढ़ाने से मौजूदा एलएसी विवाद और जटिल होता जा रहा है। चीन की इसी कथनी और करनी के अंतर को भांपते हुए भारत ने भी सर्दियों तक अपने जवानों की तैनाती को बरकरार रखने का निर्णय लिया है और उनके लिए राशन, टेंट, सर्दियों के कपड़े, ईंधन और जरूरी रसद की नियमित सप्लाई की जा रही है।

जल्द होगी पांचवें दौर की बैठक

एलएसी विवाद सुलझाने के लिए दोनों के सैन्य कमांडरों के बीच चार बार बैठक हो चुकी है, जल्द होने वाली पांचवीं बैठक को लेकर तैयारियां चल रही हैं। विदेश मंत्रालय के स्तर पर, भारत-चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच भी संवाद का दौर भी जारी है। नेपाल की आपत्ति को किया खारिज

भारत द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा के एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में धारचूला से लिपुलेख तक 80 किमी़ लंबी एक सड़क बनाए जाने को लेकर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। जिसे भारत सरकार से सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि उसने एलएसी के अपने इलाके में निर्माण कार्य किया है। इससे किसी और को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

नेपाल पर भी भारत की पैनी नजर

भारत चीन के साथ साथ नेपाल की मौजूदा गतिविधियों पर भी पैनी नजर बनाए हुए हैं। सेनाप्रमुख जनरल नरावणे ने एक सम्मेलन में चीन का नाम लिए बगैर कहा था कि नेपाल की विरोध की प्रतिक्रिया से ऐसा लगता है कि वह किसी और के इशारे पर की जा रही है। इसके अलावा नेपाल ने इसी साल अपने राजनीतिक नक्शे को बदलते हुए कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधूरा को भी अपना हिस्सा बताते हुए संसद में एक प्रस्ताव पास कर दिया है। कालापानी का यह इलाका एलएसी के उस ट्राइजंक्शन पर पड़ता है। जहां भारत, चीन और नेपाल की सीमाएं मिलती हैं।

15 जून को हुई थी हिंसक झड़प

यहां बता दें कि लद्दाख में बीते 15 जून को गश्त बिंदु-14 पर चीन ने विश्वासघात करते हुए भारत के 20 भारतीय जवानों को धोखे से मार दिया था। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी करीब 35 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद से ही दोनों के बीच एलएसी पर तनाव चरम पर है। हालांकि बातचीत की प्रक्रिया जारी है लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।

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