Agnipath scheme: नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत गोरखा सैनिकों की भर्ती पर लगाई रोक, भारत ने दिया जवाब

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अग्निपथ को लेकर नेपाल ने फिलहाल बड़ा फैसला लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड्का (Nepal's Foreign Minister Narayan Khadka) ने भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव (Indian ambassador Naveen Srivastava) को बताया है कि हम नई अग्निपथ योजना (Agnipath scheme) के तहत भारतीय सेना ( Indian Army) में गोरखाओं की भर्ती की अनुमति नहीं देंगे। जब तक कि देश के राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ विचार विमर्श नहीं हो जाता है।
नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड्का ने कहा कि योजना 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के द्वारा हस्ताक्षर हुए करार का पालन नहीं करता है। क्योंकि भारतीय सेना में नेपाली जवानों की भर्ती को नियंत्रित नहीं करती है। खड्का ने अधिकारियों से कहा कि डील को नए सिस्टम से मान्यता नहीं दी गई है और देश नई व्यवस्था के प्रभाव को देखने के बाद ही इसी जरूरी होगा तो लागू करेंगे।
अग्निपथ योजना के अंतर्गत जवानों की भर्ती 4 साल के लिए है और इसके बाद 25 फीसदी जवानों को प्रदर्शन के आधार पर सेवा को आगे भी जारी रखा जाएगा। बाकी जवानों को 11 से 12 लाख रुपये के एक पैकेज के साथ सेवा से हटा दिया जाएगा। ये जवान अग्निवीर कह लाएंगे।
इस योजना के ऐलान के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुआ। दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सरकार ने इस भर्ती योजना की प्रक्रिया को अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी है। दो साल के बाद देश को इस भर्ती के लिए संपर्क किया गया है। सेना भर्ती कोरोना महामारी के दौरान 2 साल के लिए रद्द कर दी गई थी। हालांकि, मंत्री ने कहा कि भर्ती पर रोक फैसला नहीं था और देश विचार-विमार्श और हितधारकों के बाद इसको देखेगा। भारत सरकार का कहना है कि इस योजना को लाने का मकसद सेना के प्रोफाइल को युवा रखना है। भारत सरकार ने कहा कि हम भारतीय सेना में नेपाली सैनिकों की भर्ती पहले से कर रहे थे और आगे भी जारी रखेंगे।
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