UN में पाकिस्तान के नए स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम के Career पर लगे हैं कई बार धब्बे, जानें कब-कब आए सुर्खियों में

पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि (Pakistan's Permanent Representative In UN) मलीहा लोधी थे। उनकी जगह पाकिस्तान ने मुनीर अकरम (Munir Akram) को अपना नया संयुक्त राष्ट्र (United Nation) प्रतिनिधि नियुक्त किया है। मुनीर अकरम का जीवन पाकिस्तान में विवादों से घिरा रहा है। इससे पहले भी वर्ष 2003 में परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) ने उन्हें इसी पद पर नियुक्त किया था। लेकिन अपने यूएन के कार्यकाल के दौरान भी मुनीर ने अपनी गर्लफ्रेंड पर हमला किया था। जिस वजह से पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बेइज्जत होना पड़ा था। आसिफ अली जरदारी जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने तब उन्हें इस पद से हटा दिया गया था।
22 वर्ष छोटी लड़की से था अफेयर
वर्ष 2003 में पाकिस्तान दो वर्षों के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बना था। प्रतिनिधी के तौर पर मुनीर अकरम को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पोस्टिंग के दौरान अपनी आधिकारिक जिम्मेदारियां निभाने की जगह 57 वर्षीय मुनीर का 22 साल छोटी यूरोपियन मूल की लड़की के साथ अफेयर चल रहा था।
गर्लफ्रेंड से की थी मारपीट
वर्ष 2002 दिसंबर में रात के करीब 1 बजे 35 वर्षीय मरिजाना मिहिक ने पुलिस को फोन करके बुला लिया था। पुलिस के वहां पहुंचने पर मिहिक ने मुनीर के खिलाफ मारपीट की शिकायत दर्ज की। लेकिन पाकिस्तान के राजदूत होने के कारण मुनीर को संरक्षण मिला हुआ था जिस कारण उनके खिलाफ पुलिस को कार्रवाई नहीं सकती थी। यहां तक कि न्यूयॉर्क पुलिस ने पाकिस्तान की सरकार से मांग की थी कि मुनीर की डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी खत्म की जाए ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
आसिफ अली जरदारी ने दिखाया था बाहर का रास्ता
जब आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपित बने तो उन्होंने मुनीर अकरम को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि के पाद से हटा दिया था। इसका कारण था कि वह अपनी पत्नी बेनजीर भुट्टो की हत्या का मामला यूएन में ले जाना चाहते थे। लेकिन मुनीर इस बात के लिए तैयार नहीं हुए जिस वजह से आसिफ अली जरदारी ने मुनीर को यूएन से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
हार्डलाइनर की है छवि
मुनीर अकरम अपने बयानों को लेकर भी विवादों में रहे हैं। कश्मीर मुद्दे पर भी वह आक्रामक छवि रखते हैं और कश्मीरियों को हथियार उठाने के लिए भी भड़का चुके हैं। हाल ही में भारत में केंद्र सरकार द्वारा आर्टिकल 370 हटाने के बाद मुनीर ने अपने एक लेख में लिखा था कि हुर्रियात की बजार हिज्बुल जैसे संगठनों को कश्मीर में लड़ाई शुरू करनी चाहिए। जिस वजह से उनकी छवी एक हार्डलाइनर की बन चुकी है।
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