Pervez Musharraf Death: परवेज मुशर्रफ ने रची थी कारगिल युद्ध की साजिश, जानिये पाक में तख्तापलट का पूरा इतिहास

Pervez Musharraf Death: परवेज मुशर्रफ ने रची थी कारगिल युद्ध की साजिश, जानिये पाक में तख्तापलट का पूरा इतिहास
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पाक के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ का आज दुबई में लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया है। परवेज की वजह से भारत को कारगिल युद्ध झेलना पड़ा था। यहां पढ़िये पाक सेना द्वारा किए गए तख्तापलट का इतिहास...

आतंकवादियों को पनाह देने वाला देश पाकिस्तान कहने को तो लोकतांत्रिक देश है, लेकिन आजादी के बाद से इस देश में अब तक कई बार सरकारों का तख्तापलट हो चुका है। पाकिस्तान और भारत को एक साथ अंग्रेजों से आजादी मिली, लेकिन वर्तमान में दोनों देशों में अंतर साफ तौर पर देखा जा सकता है। इसका कारण कहीं न कहीं पाकिस्तान का सैन्य शासन भी रहा है। वहां के सैन्य अधिकारियों ने कई बार सरकार को बर्खास्त कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। पाकिस्तान में कुल 33 साल तक तानाशाहों के हाथ में शासन रहा है। उन तमाम तानाशाहों में से एक सबसे बड़ा नाम है परवेज मुशर्रफ। इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें, इसमें आपको बताएंगे पाकिस्तान में तख्तापलट का क्या इतिहास रहा है और कितनी बार सरकार को बर्खास्त किया गया है।

पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास

1. 1958-1971 का तख्तापलट:-

जनरल अयूब खान

पाकिस्तान में सबसे पहली बार 7 अक्टूबर 1958 में तख्तापलट देखने को मिला था। पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इसकंदर मिर्जा ने प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। फिरोज खान 16 दिसंबर 1957 से 7 अक्टूबर 1958 तक के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। मेजर इसकंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद को भी भंग कर दिया और देश में मार्शल लॉ लगा दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने जनरल आयूब खान को देश का चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया था। इसके बाद कुछ ऐसा हुआ की आप सोच भी नहीं सकते हैं। जनरल अयूब खान तख्तापलट के सिर्फ 13 दिन बाद राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा को अंदररास्ते सत्ता से बाहर कर दिया था। आयुब खान ने वर्ष 1960 खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। आयूब खान की सरकार 1958 से 1971 तक रही।

2. 1977-1988 का तख्तापलट:-

जिया उल हक

पाकिस्तान में दूसरी बार 4 जून 1977 में तख्तापलट हुआ था। इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो थे। इस मिशन को 'ऑपरेशन फेयर प्ले' नाम दिया गया था। यह तख्तापलट आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक के द्वारा किया गया था। जब सरकार कमजोर पड़ने लगी तो याह्या खान ने साल 1973 में जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान का राष्ट्रपति और चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया था। फिर बाद में राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो चुनाव लड़कर लोकतांत्रिक तरीके से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए। प्रधानमंत्री बनने के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने जिया उल हक को पाकिस्तानी सेना का जनरल बनाया था। लेकिन, 1977 में उसी जिया उल हक ने जुल्फिकार अली का तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले लिया था। इस तरह ज़ुल्फिकार अली भुट्टो 1973 से लेकर 1977 के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। जिया उल हक की सत्ता 1977 से लेकर 1988 तक रही।

3. 1999-2008 का तख्तापलट:-

परवेज मुशर्रफ

पाकिस्तान में तीसरी बार 1999 में तख्तापलट देखने को मिला था। इस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे। यह तख्तापलट आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ के द्वारा किया गया था। हालांकि नवाज शरीफ ने इसे रोकने के लिए काफी कोशिश की थी, लेकिन फिर भी उसकी सरकार नहीं बची। नवाज शरीफ को पहले से ही इसका अंदेशा हो गया था कि परवेज मुशर्रफ तख्तापलट का प्लान बना रहा है। इसलिए नवाज ने मुशर्रफ को सेनाध्यक्ष के पद से हटा दिया था। लेकिन, उन्होंने जिस जनरल अजीज को नया चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वह मुशर्रफ का सहयोगी निकला। 12 अक्टूबर 1999 को परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ के ऊपर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का केस लगाकर उसे गिरफ्तार करा दिया। इसके बाद परवेज ने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागू कर सत्ता अपने हाथ में ले लिया। बाद में परवेज मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। वह साल 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने रहे।

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