Russia Ukraine War: रूस ने डॉल्फिनों को काले सागर में किया तैनात, समुद्री रक्षा भेदने वाले को झेलना पड़ेगा नुकसान

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का लगातार जारी है। रूस अपनी गोलियों, गोलों और मिसाइलों से हमला करके यूक्रेन को ध्वस्त कर रहा है तो वहीं यू्क्रेन भी पलटवार कर रहा है। इस कड़ी में रूस ने अब काले सागर में दो डॉल्फिनों को भी तैनात किया है। यह डॉल्फिनें बेहद प्रशिक्षित हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएस नेवल इंस्टिट्यूट (USNI) ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर यह दावा किया है कि रूसी नौसेना ने दो डॉल्फिनों को क्रीमिया के पास सेवास्तोपोल बंदरगाह पर तैनात किया है। यूएसएनआई संस्था समुद्री रक्षा और सुरक्षा मामलों पर काम करने वाली स्वतंत्र संस्था है।
यूक्रेन से भी युद्ध के चलते रूस को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है। रूस के कई जाहज भी यूक्रेनी मिसाइलों की पहुंच से बाहर है, लेकिन उन पर कभी भी हमला हो सकता है। ऐसे में रूस ने पहले से ही काले सागर पर दो डॉल्फिनों को तैनात किया है। यह दोनों डॉल्फिन बेहद प्रशिक्षित हैं।
ऐसी डॉल्फिनों का इस्तेमाल अमेरिका भी करता आया है। शीत युद्ध के दौरान भी सोवियत संघ और अमेरिका ने डॉल्फिनों को दुश्मनों और समुद्री माइनों को पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया था। 1991 में सोवियत संघ टूटा तो यह कार्यक्रम यूक्रेन के हिस्से में चला गया था। तब से यूक्रेन इसका इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन क्रीमिया के अलग होने के बाद यह कार्यक्रम फिर से रूसी नियंत्रण में आ गया।
बता दें कि डॉल्फिन 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती है। यह 10 से15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है और हर प्रकार के जोखिम का पता लगा लेती है। इसी वजह से डॉल्फिन को समुद्री युद्ध में भी इस्तेमाल किया गया है। 2003 में इराक युद्ध के दौरान इस तरह डॉल्फिन उम्म क़सर के बंदरगाह में 100 से अधिक खानों को साफ करने में मदद की थी। सभी बड़े देश भी ऐसी डॉल्फिन चाहते हैं, जो समुद्री सुरक्षा को और कड़ा कर सकें।
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