Luna-25 Mission: रूस ने 47 साल बाद लॉन्च किया पहला चंद्र मिशन, जानें चांद पर कब होगी लैंडिग

Luna-25 Mission: रूस ने 47 साल बाद लॉन्च किया पहला चंद्र मिशन, जानें चांद पर कब होगी लैंडिग
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Luna-25 Mission Launched: रूस ने करीब 47 साल बाद लूना-25 मिशन लॉन्च किया है। यह भारत के चंद्रयान से पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। इस मिशन को लूना-ग्लोब भी कहते हैं। यहां पढ़ें विस्तृत खबर...

Luna 25 Mission Launched: रूस ने तकरीबन 47 साल बाद चांद पर अपना मून मिशन भेजा है। यह आज सुबह 4.40 बजे के करीब अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया है। इसे लूना-ग्लोब (Luna-Glob) मिशन के नाम से भी जाना जाता है। इसके भारतीय अंतरिक्ष यान यानी कि चंद्रयान-3 से पहले चांद पर उतरने की उम्मीद है। यह भी 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिग करेगा।

रूस का 1976 के बाद पहला मिशन

लूना-25 1976 के बाद रूस का पहला चंद्र मिशन है। रूसी चंद्र लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, इसके एक या दो दिन बाद चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) के भी उतरने की उम्मीद है। रूसी लैंडर को चांद के आसपास की यात्रा करने में लगभग सात दिन का समय लगेगा। हालांकि, धरती के बाहर गोलाकार आर्बिट (Orbit) को पार करने में इसे साढ़े पांच दिन का समय लग जाएगा। अभी तक केवल तीन ही देश हैं जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिग करने में कामयाब हुए हैं। इनमें सोवियत संघ यानी की अब रूस, अमेरिका और चीन (China) शामिल हैं। भारत और रूस चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले उतरने का लक्ष्य तय कर रहे हैं।

रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) की तरफ से कहा गया कि वह यह दिखाना चाहती है कि रूस चंद्रमा पर पेलोड पहुंचाने में सक्षम राज्य है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से उसके लिए पश्चिमी तकनीक तक पहुंच काफी मुश्किल हो गई है।

क्या काम करेगा यह मिशन

लूना-25 (Luna 25) मिशन चांद की सतह पर तकरीबन एक साल का समय बिताएगा। इसमें एक खास तरीके की एक तकनीक विकसित की गई है जो चांद की सतह पर खुदाई करके पत्थर और धूल के सैंपल को इकट्ठा करेगा। ताकि यह पता किया जा सके कि चांद पर जमा हुआ पानी है या नहीं। जब कोई भी इंसान चांद पर बसने की कोशिश करे तो उसके लिए वहां पानी की व्यवस्था की जा सके।

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