Russia Ukraine War: जानें कब इस्तेमाल किया जाता है आपातकालीन तेल भंडार, इस देश के पास है सबसे ज्यादा

रूस यूक्रेन युद्ध (russia ukraine war) के बीच अब दुनिया पर इसका असर देखने को मिल रहा है। सबसे ज्यादा असर तेल (Oil Price) और खाद्य सामग्री के बढ़ते दामों को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। बुधवार को अमेरिका ने अपने रिजर्व ऑल (Reserve Oil) के इस्तेमाल का ऐलान किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमाने 30 अन्य देशों के साथ मिलकर काम किया है और अब हम इमरजेंसी ऑयल स्टॉक का इस्तेमाल करने जा रही हैं। ताकि दुनिया में तेल की स्थिति को कंट्रोल किया जा सके।
भारत के इमरजेंसी ऑयल स्टॉक की स्थिति
अमेरिका के अलावा भारत अपने आपातकालीन तेल भंडार का इस्तेमाल कर सकता है। सरकार इन कीमतों को नियंत्रित करने का फैसला ले सकती है। यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध छेड़ने से वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हुई है। सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। इसके साथ ही सरकार आपूर्ति बाधित होने की संभावना पर भी नजर रखे हुए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास अभी स्ट्रेटेजिक रिजर्व की होल्डिंग क्षमता 5.33 मिलियन टन या 39 मिलियन बैरल है। जो 9.5 दिनों के लिए स्टॉक में है। सीधे तौर पर कह सकते हैं कि इतना तेल कम से कम नौ दिनों के लिए भारत की खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
क्या है तेल के रणनीतिक भंडार
यूक्रेन पर रूस के सैन्य हमले और उस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के मद्देनजर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के संकेतों के बीच अब कई देश अपने इमरजेंसी ऑयल स्टॉक जारी करने जा रहे हैं। किसी भी आपातकालीन स्थिति में कोई भी देश अपने रणनीतिक तेल भंडार का इस्तेमाल करता है। जो अपने देश में तेल निकालते हैं, जो इमरजेंसी ऑयल स्टॉक कहा जाता है।
1973 में तेल संकट के बाद हुआ अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की स्थापना
दुनिया भर की सरकारें और निजी कंपनियां कच्चे तेल का स्टॉक एक साथ रखती हैं। इन भंडारों को ऊर्जा संकट या तेल की आपूर्ति में अल्पकालिक गड़बड़ी से निपटने के लिए स्टॉक किया जाता है। 1973 के तेल संकट के बाद अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) बनाई गई। 1973 में ही रणनीतिक तेल भंडार का निर्माण का सिलसिला शुरू हो गया था। इसमें दुनिया के 30 सदस्य देश और 8 सहयोगी सदस्य हैं। सभी सदस्य देशों के लिए तेल भंडार कम से कम 90 दिनों तक रखना अनिवार्य है। सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि भारत इसका सहयोगी सदस्य है।
कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है रूस
अगर रूस ने यूक्रेन के बीच युद्ध नहीं रोका तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं। जिससे भारत की परेशानी और बढ़ जाएगी। रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है। रूस अपने कच्चे तेल का 35 प्रतिशत यूरोप को आपूर्ति करता है। भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता कि आने वाले दिनं में तेल और महंगाई पर इसका क्या असर होगा।
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