Turkey: कोई नहीं छू सका बहुमत का आंकड़ा, 28 मई को फिर राष्ट्रपति चुनाव

Turkey: कोई नहीं छू सका बहुमत का आंकड़ा, 28 मई को फिर राष्ट्रपति चुनाव
X
पश्चिम एशियाई देश तुर्की (Turkey) में राष्ट्रपति पद के चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) और केमल किलिकडारोग्लू में से किसी ने भी बहुमत का आंकड़ा पार नहीं किया है। इसके साथ ही अब तुर्की में 28 मई को दोबारा से चुनाव कराए जाएंगे।

पश्चिम एशियाई देश तुर्की (Turkey) में राष्ट्रपति पद के चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) को जीत हासिल नहीं हो सकी है। वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी केमल किलिकडारोग्लू (Kemal Kilicdaroglu) भी बहुमत के आंकड़े को पार नहीं कर पाए हैं। एर्दोगन को इस इलेक्शन (Election) में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन का नेतृत्व करने वाले किलिकडारोग्लू की ओर से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। इसी के साथ ही अब तुर्की में 28 मई को दोबारा से राष्ट्रपति पद का चुनाव होगा। तुर्की में बीते कुछ माह पहले ही भूकंप आया था। इसके लिए देश के लोग इन्हीं को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

इन दोनों नेताओं को मिले इतने प्रतिशत मत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खोले गए 97 फीसदी बैलेट बॉक्स में राष्ट्रपति एर्दोगन को 49.39 प्रतिशत मत मिले हैं, जबकि किलिकडारोग्लू को 44.92 प्रतिशत वोट मिले हैं। वहीं, सत्ता में आने के लिए किसी भी पार्टी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलने चाहिए। एर्दोगन चुनाव में राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल भी चाहते हैं। उन्होंने देश पर 20 वर्षों तक शासन किया है। वह पहली बार 2003 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में और 2014 से अब तक राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। ये उम्मीदवार 14 दिनों का उपयोग मतदाताओं को लुभाने के लिए करेंगे।

भारत विरोधी सुर रहे हैं एर्दोगन के

पिछले करीब 20 सालों से एर्दोगन ने तुर्की में सत्ता पर शासन किया है, जब से रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) का रवैया भारत विरोधी रहा है। वे पाकिस्तान (Pakistan) के समर्थक रहे हैं। जम्मू व कश्मीर (Jammu-Kashmir) के मुद्दे पर उन्होंने पाकिस्तान का समर्थन किया है और उसकी ही भाषा बोली है। उन्होंने सयुंक्त राष्ट्र संघ में कहा था कि कश्मीर में अवाम पर बहुत जुल्म किए जा रहे हैं। इन सभी का निपटारा यूएन के चार्टर के हिसाब से किया जाना चाहिए।

Also Read: Turkey Earthquake में पीड़ितों की मदद के लिए भारत का ऑपरेशन दोस्त सफल, वापस लौटी NDRF की टीम

भूकंप से तबाह हुए क्षेत्र में चुनाव पर बड़ा असर

तुर्की (Turkey) में कुछ माह पहले बेहद ही विनाशकारी भूंकप आया था, जिसमें तकरीबन 50 हजार लोगों की मौत हो गई थी और लोगों के आवास भी उजड़ गए थे। भूकंप का 11 शहरों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा था। इन्हीं 11 शहरों में से 8 शहरों को एर्दोगन का गढ़ माना जाता है। यहां पर उन्हें पिछले दो चुनावों में 60 फीसदी से अधिक मत मिले थे, लेकिन इस बार एर्दोगन को जीतने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

Tags

Next Story