पाकिस्तानी संविधान की अनुच्छेद 58 का हो रहा जिक्र, इमरान खान ने राष्ट्रपति को भेजा था ये प्रस्ताव

पाकिस्तान (Pakistan) की नेशनल असेंबली (National Assembly) ने विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। जिसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने सदन को भंग करने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (President Arif Alvi) को प्रस्ताव भेजा, जिसके राष्ट्रपति ने स्वीकर करते हुए नेशनल असेंबली को भंग कर दिया। जिसके बाद विपक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। साथ ही धरना के चेतावनी दी।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 58 का जिक्र करते हुए राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में संसद को भंग करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश के आधे घंटे के बाद ही राष्ट्रपति ने असेंबली को भंग भी कर दिया। ऐसे में क्या कोई और ऑपशन या कोई और रास्ता नहीं था कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति इसे रोक सकते।
क्या है पाकिस्तान के संविधान में लिखा अनुच्छेद 58
पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 58 में कहा गया है कि अगर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली भंग की सलाह या सिफारिश करते हैं तो ऐसे में राष्ट्रपति को उसे भंग करना ही होगा और अगर ऐसा राष्ट्रपति नहीं करते हैं तो सलाह दिए जाने के 48 घंटे बाद असेंबली खुद ही भंग मानी जाएगी। बता दें कि पाकिस्तान के संविधान का आठवां संशोधन, जिसे आधिकारिक तौर पर संविधान अधिनियम, 1985 के रूप में जाना जाता है। इस संशोधन के आह्वान के साथ पाकिस्तान का संसदीय शासन आंशिक राष्ट्रपति शासन में बदल गया और राष्ट्रपति पाकिस्तान को कई अतिरिक्त विकल्प मिले और संवैधानिक शक्ति भी मिली।
इस विकल्प में पाकिस्तान के संविधान के उप-भाग 2 (बी) का अनुच्छेद 58 शामिल था। जिसने पाकिस्तान के राष्ट्रपति को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को भंग करने का अधिकार दिया। जबकि सीनेट को भंग करने की कोई शक्ति नहीं थी। इस संशोधन के तहत यदि पाकिस्तान के राष्ट्रपति की राय में देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसके तहत पाकिस्तान के संविधान के तहत सरकार और राजनीति नहीं चल सकती है।
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