विश्व स्वास्थ्य संगठन का अलर्ट, 2 भारतीय खांसी की दवाई को लेकर कहा- इन्हें नहीं किया जाए इस्तेमाल

उज्बेकिस्तान में कथिक तौर पर भारतीय कफ सिरप पीने से हुईं मौतों के बाद अब स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी जारी कर दी है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि नोएडा की कंपनी मैरियन बायोटेक के दो कफ सिरप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बीते दिनों कफ सिरप से गाम्बिया में 66 और उज्बेकिस्तान में 19 बच्चों की मौत हो गई थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) उज्बेकिस्तान के कई वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में है। इस पूरे मामले को लेकर डब्ल्यूएचओ से जानकारी ली जा रही है। भारत में बने दो कफ सिरप को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दो खांसी की दवाई भारत की मैरियन बायोटेक ने बनाई हैं। इनके नाम हैं AMBRONOL सिरप और DOK-1 मैक्स सिरप। इन दोनों ही सिरप को न पीने के लिए कहा गया है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जांच में पता चला है कि दोनों कफ सिरप अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इनमें संदूषण के रूप में डायथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल की महत्वपूर्ण मात्रा नहीं होती है। उज्बेकिस्तान सरकार ने 28 दिसंबर को आरोप लगाया था कि भारत में बनी खांसी की दवाई से उनके देश में 18 बच्चों की मौत हुई है। तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि नोएडा के मैरियन बायोटेक में बनी खांसी की दवाई डीओके-1 मैक्स पीने से बच्चों की मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मामले में सिरप की जांच की है।
वहीं इस मामले पर भारत ने जवाब देते हुए कहा था कि हमने खांसी की दवाई का परीक्षण किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, एथिलीन ग्लाइकॉल एक कार्बन यौगिक है। इसमें न तो सुगंध होती है और न ही रंग। यह मीठा है। इसे बच्चों के सिरप में सिर्फ इसलिए डाला जाता है, ताकि वे आसानी से पी सकें। इसकी मात्रा के असंतुलन से ये घातक हो सकते हैं। जो दुनिया के कई देशों में बैन है।
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