पीएम नरेंद्र मोदी की सफल विदेश नीति, 5 साल का रिपोर्ट कार्ड

पीएम नरेंद्र मोदी की सफल विदेश नीति, 5 साल का रिपोर्ट कार्ड
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17 वीं लोकसभा के लिए चुनाव का दौर शुरू हो गया है। भारत में और भारत के बाहर भी मीडिया में इस बात की चर्चा हो रही है कि गत पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विभिन्न क्षेत्रों में क्या उपलब्धि रही?

17 वीं लोकसभा के लिए चुनाव का दौर शुरू हो गया है। भारत में और भारत के बाहर भी मीडिया में इस बात की चर्चा हो रही है कि गत पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विभिन्न क्षेत्रों में क्या उपलब्धि रही? लोग देश की अर्थव्यवस्था के बारे में चर्चा करते हैं, ढांचागत विकास की चर्चा करते हैं, भारत के गांव-देहात में क्या विकास हुआ है, इसकी भी बातें हो रही हैं। कृषि क्षेत्र में तथा शहरी क्षेत्र में क्या विकास हुआ है, देश की सुरक्षा के बारे में क्या महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, आंतरिक सुरक्षा कितनी मजबूत हुई है, शिक्षा, स्वास्थ और पर्यटन में क्या उपलब्धि हुई हैं। परन्तु जिस बारे में ज्यादा चर्चा हो रही है वह है भारत की विदेश नीति।

देश और देश से बाहर भी लोग एक स्वर से नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति की तारीफ कर रहे हैं। सबसे ज्यादा तारीफ विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय कर रहे हैं। गत पांच वर्षों में नरेन्द्र मोदी ने संसार के प्रायः 90 देशों की यात्रा की और जहां-जहां वे गए, वहां उन्होंने नियमित रूप से विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। बोल चाल की भाषा में प्रवासी भारतीयों को 'एनआरआई' कहते हैं।

हर देश में इन प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उनमें विश्वास जगाया और उन्हें आश्वस्त किया कि भारत तेजी से बदल रहा है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में भारत का भ्रमण करें और अपने विदेशी मित्रों को भी प्रोत्साहित करें कि वे भारत की यात्रा करें तथा भारत में भरपूर निवेश करें। उन्होंने उनसे कहा कि अब विदेशियों को यह भावना छोड़ देनी होगी कि भारत सपेरों का देश है या विकास के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा है।

सच यह है कि आज में संसार में जितने देशों का विकास हो रहा है, उनमें भारत आगे है। उन्होंने रूस और अमेरिका दोनों से मधुर संबंध बनाए। जब रूस से 70 हजार करोड़ रुपये के हथियारों के खरीदने का समझौता हुआ तो अमेरिकी राष्ट्रपति के विरोध की उन्होंने जरा भी परवाह नहीं की। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति से उनके संबंध अत्यन्त ही मधुर हो गए और उनके प्रयासों के कारण ही अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर भारत के विकास में भरपूर योगदान करने का वादा किया। इस क्षेत्र में चीन सभी देशों को आंख दिखा रहा था। परन्तु भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर इस क्षेत्र के देशों को भरोसा दिलाया कि चीन उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

प्रधानमंत्री ने भारत के पड़ोसी देशों का भारत के संबंध मजबूत किए। आसियान देशों के साथ हर तरह का सहयोग किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि उन्हें चीन या किसी दूसरे देश से डरने की आवश्यकता नहीं है। आसियान देशो से भारत के व्यापारिक संबंध नरेन्द्र मोदी ने तेजी से बढ़ाए और अपनी 'लुक ईस्ट नीति' के तहत यह प्रयास किया कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध और प्रगाढ़ हों।

इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत को हर तरह से तंग कर रहे हैं। चीन ने ही पाकिस्तान को एटम बम की तकनीक दी है, जिसको लेकर पाकिस्तान यदाकदा परमाणु संपन्न देश होने की धमकी देता रहा है। परन्तु पाकिस्तान में 'सर्जिकल और एयर स्ट्राइक' करके प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान की बोलती बन्द कर दी। दुनिया के किसी भी देश ने उसका साथ नहीं दिया। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम थे जिनकी प्रशंसा पूरे संसार में हुई। परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि कुछ विपक्षी दल इसमें भी प्रधानमंत्री की आलोचना कर रहे है।

इतना ही नहीं पहली बार भारत ने सऊदी अरब और यूएई से मजबूत संबंध स्थापित किये जिसके कारण संसार के मुस्लिम देश भी नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने लगे हैं। चीन के साथ प्रधानमंत्री ने मधुर संबंध स्थापित करने के पूरे प्रयास किए। परन्तु जब डोकलाम में चीन अपनी शैतानी से बाज नहीं आ रहा था तब प्रधानमंत्री ने भारत की सेना को ओदश दिया कि सेना अपनी सीमा पर मजबूत सुरक्षा का प्रबंध करे। भारत के इस कड़े कदम के कारण चीन को पीछे हटनाे के लिए मजबूर होना पड़ा।

यह तो मानकर चलना होगा कि संसार में भारत के बढ़ते हुए महत्व को चीन फूटी आंखों से नहीं देख पा रहा है। परन्तु अब जब संसार के अधिकतर देश भारत की विदेश नीति की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं तो पाकिस्तान और चीन भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। यह सच है कि आतंकवादियेां को बढ़ावा पाकिस्तान ही दे रहा है। परन्तु प्रधानमंत्री ने अपनी सेना को यह आदेश दे दिए हैं कि जहां भी आतंकवादियों की हरकतें दिखें वहां उन्हें जड़-मूल से समाप्त कर दिया जाए। सेना को हर तरह की छूट दी गई।

जिन देशों को पूर्ववर्ती सरकारों ने नजरन्दाज किया था, खासकर दक्षिण पूर्व एशिया के देश लाओस, कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड। उन देशों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबंधों को मजबूती प्रदान की। जो प्रवासी भारतीय सैंकड़ों वर्षों से इन देशों में रह रहे हैं उन्हें उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में भारत से जो गलती हुई हैं, उन्हें भूलकर भारत के साथ मधुर संबंध स्थापित करने चाहिएं।

भूटान के साथ प्रधानमंत्री ने बहुत ही मधुर संबंध स्थापित किए और भूटान को आश्वस्त किया कि वहां जितनी भी पन बिजली पैदा होगी उसे भारत खरीद लेगा जिससे भूटान का आर्थिक विकास तो होगा ही, भारत के सीमावर्ती क्षेत्र पश्चिम बंगाल और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों का भी आर्थिक विकास होगा। प्रधानमंत्री ने नेपाल को समझाने का प्रयास किया कि उसे भूटान से सबक लेना चाहिये और यदि भूटान की तरह नेपाल में भी भारत के सहयोग से पन बिजली का उत्पादन हो,

जिसकी असीम संभावनाएं हैं और उस पन बिजली से न केवल नेपाल का विकास होगा बल्कि भारत भी लाभान्वित होगा। सही अर्थ में दोनों देश सहोदर भाइयों की तरह आर्थिक विकास की राह पर चलेंगे। कुल मिलाकर नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति पूर्णतः सफल हुई है और आशा की जानी चाहिए कि भविष्य में संसार के दूसरे देशों के साथ भी भारत के आर्थिक और संास्कृतिक संबंध मजबूत होंगे।

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